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30 वर्ष की साधना भी दर्शकों को 30 मिनट ही रोकेगी, कला तपस्या है... इंस्टेंट नूडल्स नहीं
भोपाल। भारत सरकार की ओर से कलाकारों को दिए जाने वाला प्रतिष्ठित सम्मान, राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार 2021 की घोषणा हो चुकी है और शहर की वरिष्ठ नृत्युगुरु डॉ. विभा दाधीच को उनके सुदीर्घ समर्पण के लिए यह गौरव दिया गया। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें यह पुरस्कार देंगी। चौथी कक्षा में नृत्य सीखना शुरू करने वालीं डॉ. दाधीच आज भी नई विद्यार्थी की तरह रियाज़ करती हैं।
डॉ. विभा बताती हैं हम बिलासपुर में रहते थे और रायगढ़ राजपरिवार के नृत्यगुरु पं. फिरतूदास वैष्णव वहां आ बसे। मेरे माता-पिता भ्रमर केदारनाथ गुप्त और पूर्णादेवी गुप्ता जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, उन्होंने मुझे उनके पास प्रशिक्षण लेने भेजा। कुछ समय बाद गुरुजी दोबारा रायगढ़ चले गए। माता-पिता ने मुझे रायगढ़ शिफ्ट कर दिया। उस ज़माने में बेटी को नृत्य सीखने दूसरे शहर भेजना साहसिक निर्णय था। फिर दिल्ली में शम्भू महाराज के घर रहकर नृत्य सीखा। विवाह हुआ कथक नर्तक पुरु दाधीच से। उन्होंने भी हमेशा प्रोत्साहित किया।
• गुरु-शिष्य परंपरा में रह कर ली कथक की शिक्षा
युवा पीढ़ी प्रतिभाशाली है पर उन्हें जो अवसर, जो आज़ादी मिल रही है, उसकी उन्हें क़द्र नहीं है। मुझे बहुत कठिनाइयों से विद्या मिली। युवाओं से कहना चाहती हूं कि परफॉर्मिंग आर्ट कोई भी हो, साधना से ही परिपक्वता आएगी। यहां इंस्टेंट कुछ भी नहीं मिलेगा। मैंने अपने गुरुजन से सीखा है कि एक साल साधना करोगे तो दर्शकों को एक मिनट बांधे रख सकोगे। 30 साल की साधना उन्हें प्रस्तुति में 30 मिनट बैठा सकेगी।
• हस्त मुद्राओं पर शोध कथक क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ
80 के दशक में पीएचडी के लिए हस्तमुद्राओं पर किया गया उनका शोध, कथक के सर्वश्रेष्ठ शोध कार्यों में से एक माना जाता है। डॉ. विभा दाधीच को उनके कथक नृत्य में योगदान के लिए कई पुरस्कारों से विभूषित किया जा चुका है। डॉ. विभा वर्तमान में श्री श्री विश्वविद्यालय, कटक में प्रोफ़ेसर एमेरिटस पद पर कार्यरत हैं और इंदौर में अपनी संस्था नटवरी कथक नृत्य अकादमी चला रही हैं।
संदर्भ स्रोत- दैनिक भास्कर
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