छाया: अंजना गुप्ता के फेसबुक अकाउंट से
जिंदगी में शौक का अपना महत्व होता है। कुछ लोग अपने शौक को अहमियत देते हैं तो कुछ नज़रअंदाज कर देते हैं। इसलिए अकसर ये कहा जाता है कि आप चाहें कितने ही व्यस्त हों पर अपने शौकों को मरने न दें। जब भी मौका मिले उन्हें पूरा करें। सिवनी जिले की रहने वाली अंजना गुप्ता एक ऐसी ही शख्सियत हैं जिन्होंने जीवन में अपने शौक की अहमियत को समझा और उसे अपने करियर के रूप में अपनाकर काफी शौहरत हासिल की। लिखने का शौक उन्हें छोटी उम्र से ही रहा है। 1981 में पहली कहानी नंदन में प्रकाशित हुई। लेखन से अपने कार्य की शुरुआत करने वाली अंजना आज एक फिल्ममेकर के साथ-साथ लेखक, प्रकाशक, सोशल एंटरप्रेन्योर के तौर पर जानी जाती हैं। पिछली 22 वर्षों से टेलीविजन, रेडियो में सक्रिय अंजना 14 वर्षों से वृत्तचित्रों के निर्माण कार्य में सक्रिय हैं।
सिवनी से भोपाल आने के बाद वे प्रसार भारती से जुड़ी। उन्होंने दूरदर्शन, आकाशवाणी और प्रिंट मीडिया में काम करने के अलावा वॉइस ओवर आर्टिस्ट और एंकर के तौर पर भी काम किया। दूरदर्शन में काम करने के दौरान फिल्म मेकिंग की शुरुआत हुई। 2007 में उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू किया और सरकारी और निजी क्षेत्र के लिए कई डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई। अब भी सरकारी विभागों के लिए फिल्म निर्माता और निर्देशक के तौर पर कई प्रोजेक्ट उनके पास हैं।
वर्ष 1981 में राष्ट्रपति भवन में महामहिम राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी के हाथों प्रेसिडेंट गाइड अवार्ड प्राप्त कर चुकी अंजना ने दो पुस्तकें (सौर मंडल विषयक) भी लिखी हैं ‘गांधी और हम’ तथा ‘जिज्ञासा’। पुस्तक ‘गांधी और हम’ के लिए उन्हें देश की पहली महिला लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार के हाथों मध्यप्रदेश गांधी दर्शन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
अंजना बताती हैं शुरुआत में चुनौतियां बहुत आईं। डॉक्यूमेंट्री बनाने ग्रामीण क्षेत्रों में जाते हैं तो परेशानी आती है, पर कभी हार नहीं मानी। आज मै जो कुछ भी हूँ, वह चुनौतियों से मुकाबला करने और कभी हार न मानने के जज्बे से संभव हुआ। अंजना अपने यू ट्यूब चैनल पर टॉक शो के अलावा अपने एनजीओ के माध्यम से खगोल विज्ञान पर भी काम करती हैं। उनके संस्थान से अभी तक 40 हजार से ज्यादा बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं।
सन्दर्भ स्रोत : पत्रिका
सम्पादन: मीडियाटिक डेस्क
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