निधि श्रीवास्तव

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निधि

निधि श्रीवास्तव

nupurdanceclasses@gmail.com

2025-10-15 09:20:07

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जन्म दिनांक  : 18 अगस्त, जन्म स्थान : भोपाल 

 

माता : श्रीमती शारदा पाटिल, पिता :  श्री घनश्याम पाटिल

 

जीवन साथी : श्री आशीष श्रीवास्तव,  संतान :  पुत्र - 01, पुत्री -01

 

शिक्षा : स्नातकोत्तर (कथक), नृत्य विशारद

 

व्यवसाय : संस्थापक- नूपुर नृत्य कला अकादमी

 

करियर यात्रा /जीवन यात्रा : कथक नृत्य की साधिका के रूप में 10 वर्ष की आयु में यात्रा प्रारंभ हुई. 12 वर्ष की आयु में कथक की पहली मंचीय प्रस्तुति के बाद विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर दुर्गा सप्तशती, तांडव, कालिया दमन, माखन चोरी, भाव पक्ष, ठुमरी, भजन, तथा ताल पक्ष आदि विषयों पर आधारित एकल प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी नृत्य-प्रतिभा को निरंतर प्रस्तुत करती आ रही हैं. गंधर्व महाविद्यालय, मुंबई से नृत्य विशारद एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रभाकर की उपाधियाँ प्राप्त की है. इसके साथ ही, तबले की भी औपचारिक शिक्षा प्राप्त की, जिससे लय और ताल पर पकड़ और भी सशक्त हुई. कथक गुरु पं. गणेश प्रसाद भारद्वाज 'ताल शिरोमणि' एवं गुरु डॉ. रश्मि राठौर से नृत्य की विधिवत शिक्षा प्राप्त की. पिछले 20 वर्षों से नूपुर नृत्य कला अकादमी का संचालन कर रही हैं. संस्था के माध्यम से न केवल छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण दे रहीं हैं, बल्कि उन्हें विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मंच प्रदान कर इस कला को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं.

 

उपलब्धियां/पुरस्कार

• गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड (2024) — खजुराहो में राग बसंत की लय पर (कथक कुम्भ)1484 घुंघरू साधकों के साथ सामूहिक कथक नृत्य में सहभागिता.

 

सम्मान

• आरके क्रिएशन ग्रुप द्वारा सरगम के सितारे अवार्ड (भोपाल 2024/2025)

• अंतरराष्ट्रीय नृत्य महोत्सव, अयोध्या - गुरु वशिष्ठ आचार्य सम्मान 2024

• भारतीय संस्कृति फाउंडेशन, कलारंग-जयपुर द्वारा संस्कृति कलारंग अवार्ड (2025)

• अखिल नटराजम आंतर सांस्कृतिक संघ, नागपुर द्वारा नृत्य विभूषण अवार्ड 2025

• ट्रेड फेयर, भोपाल रानी कमलापति सम्मान  (भोपाल 2025)

 

 रुचियाँ  : कथक, संगीत

 

अन्य  जानकारी :  साल 2014 से 2024 के बीच कैंसर जैसी जटिल बीमारी से जूझना पड़ा. कीमोथेरेपी और सर्जरी जैसी मानसिक और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण प्रक्रियाओं से गुजरने के दौरान भी नृत्य ही उनकी ऊर्जा और आत्मबल का स्रोत बना और उन्होंने कथक कक्षाएं बंद नहीं होने दी. इस दौर से बाहर निकलने के बाद और भी अधिक उत्साह के साथ नृत्य को अपनाया और विभिन्न मंचों पर प्रस्तुतियाँ देना शुरू किया.