जन्म दिनांक: 13 अक्टूबर, जन्म स्थान: जबलपुर.
माता: स्व. श्रीमती कृष्णा पाण्डेय, पिता: स्व. आर. डी पाण्डेय.
जीवन साथी: श्री शलभ नायक. संतान: पुत्र- 1 पुत्री –1.
शिक्षा: चंचला बाई महिला महाविद्यालय जबलपुर से (बी.ए.) से स्नातक करने के बाद एलएलबी की उपाधि प्राप्त की. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से 6 वर्षीय डिप्लोमा एवं भरतनाट्यम में (एम.ए.) मास्टर की डिग्री प्राप्त की.
व्यवसाय: निर्देशिका एवं प्राचार्य- नृत्यांजली कला अकादमी भरतनाट्यम.
जीवन यात्रा/करियर यात्रा: 4 साल की उम्र में गुरु नृत्य शिरोमणि नरसप्पा अल्वा से 15 वर्षों तक भरतनाट्यम का कठोर प्रशिक्षण प्राप्त कर केरल कलामंडपम शैली में महारथ हासिल की. बाद में भोपाल में 8 वर्ष तक गुरु भारती होम्बल के निर्देशन में भरतनाट्यम की शिक्षा प्राप्त की. भरतनाट्यम में नाट्यशास्त्र सिद्धांतों का अध्ययन किया. वर्ष 2002 से 04 तक छावनी परिषद, जबलपुर के अंतर्गत आने वाले शिक्षण संस्थान में नृत्य शिक्षिका के रूप में कार्य किया. वर्ष 2012 में नृत्यांजली कला अकादमी भरतनाट्यम की स्थापना की. उन्होंने जबलपुर की पहली अखिल भारतीय शास्त्रीय एवं लोक नृत्य प्रतियोगिता ‘रेवा नृत्य संगम महोत्सव’ का आयोजन किया. इसके अलावा कलाकारों के लिए गुरु शंकर होम्बल अलंकरण सम्मान की शुरुआत की. उन्होंने पूर्णनारिका, कृष्ण चरित्रम, गंगा अवतरण चिदम्बरेश्वरम शास्त्रीय नृत्य नाटिका के साथ-साथ कालबेलिया, चौधरी, कोलाट्टम जैसे भारतीय लोक नृत्यों का निर्देशन भी किया. देश के विभिन्न भागों में आयोजित नृत्य, संगीत, नृत्य नाटिका आदि सेमिनार में सक्रियता से भाग लिया.
उपलब्धियां/ पुरस्कार:
• NAAC द्वारा ए-ग्रेड मान्यता प्राप्त कलाकार
• मध्यप्रदेश युवा नीति चिंतन शिविर, दुर्गावती शरद उत्सव, महिला शक्ति सप्ताह, मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम सहित अनेक प्रतिष्ठित मंचों से नृत्य प्रदर्शन.
• भारत की पहली बुंदेली फिल्म 'मोरो बेटा, मोरो लाल' में नृत्य प्रदर्शन.
• रंगसिट विश्वविद्यालय, थाईलैंड में नृत्यधाम द्वारा आयोजित महोत्सव में 16 शिष्यों ने उनके द्वारा कोरियोग्राफ किए गए भरतनाट्यम का प्रदर्शन किया.
• दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, जबलपुर में एकल नृत्य व लोक नृत्य का निर्देशन किया.
सम्मान
• नृत्य महोत्सव, थाईलैंड में पद्मभूषण से सम्मानित
• नृत्य गुरु श्रीमती सरोज वैद्यनाथन द्वारा ‘पद्मायनी बुध प्रिया’ सम्मान
• मध्यप्रदेश एसोसिएशन फॉर वूमेन इंटरप्राइजेज द्वारा 'सच्चा गुरु' (ट्रू गुरु) शीर्षक से सम्मानित
• ओंकार अलंकरण सम्मान
• नृत्यमणि अलंकरण सम्मान
• कला परम्परा सम्मान
• नवरस रत्न आचार्य सम्मान सहित अनेक पुरस्कार तथा सम्मान प्राप्त.
अन्य जानकारी: इंटर स्कूल शास्त्रीय और अंतरराष्ट्रीय लोक नृत्य प्रतियोगिता सहोदय स्कूल, अंतर केंद्रीय विद्यालय शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता, इंटर इंजीनियरिंग शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता आर.जी.पी.वी भोपाल, युवा महोत्सव राज्य स्तरीय शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिता (आर.जी.पी.वी), अंतर वैश्विक प्रतियोगिता अलॉयसियस कॉलेज जबलपुर आदि अनेक कार्यक्रमों में निर्णायक के रूप में उपस्थित.यूट्यूब पर कला सुरभि वार्ता श्रृंखला में साक्षात्कार. इनके द्वारा अब तक सौ से अधिक शिष्यों को भरतनाट्यम में प्रशिक्षित किया जा चुका है. भरतनाट्यम, तबला, हिंदुस्तानी गायन और ललित कला चार विषय में शिक्षण.
विदेश यात्रा: थाईलैंड.
रुचियां: शिष्यों को नृत्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना, नृत्य कला की शिक्षा ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचना तथा नाट्यशास्त्र का अध्यन करना.