जन्म दिनांक : 3 सितम्बर, जन्म स्थान : राउरकेला (ओडिशा)
माता: श्रीमती धरमशीला ठाकुर, पिता : श्री कृष्णचंद्र ठाकुर
जीवन साथी : सुनील कुमार झा, सन्तान : पुत्र- 01
शिक्षा : एम. ए (अंग्रेजी), बी. एड
व्यवसाय : चित्रकार, लोकचित्र कलाकार, शिक्षक एवं समाज सेविका
करियर यात्रा/जीवन यात्रा : बतौर शिक्षिका रांची के डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल से करियर की शुरुआत की. 1987 से 2017 तक कई स्कूल एवं शैक्षणिक संस्थाओं में बतौर अध्यापिका सेवाएं दीं. चित्रकारी शौकिया तौर पर शुरू की थी, लेकिन पिछले तीन दशकों में इस शौक को पूरा करते-करते उन्होंने भारत की 22 लोक चित्रकला शैलियों मे खुद को निपुण बना लिया. वर्ष 2016 में उन्होंने लोक चित्रकला सिखाने के लिए हैंडीक्राफ्ट्स ऑफ़ प्रोग्रेस एंड एजुकेशन (होप) नामक संस्था की स्थापना की और भोपाल के आसपास के गाँवों-कस्बों में बच्चों और महिलाओं को लोक चित्रकला का मुफ्त प्रशिक्षण देना प्रारम्भ किया. 2020 से उन्होंने पूरी तरह से लोककला को अपना जीवन समर्पित कर दिया. कोरोना काल में फेविक्रिल की 100 से अधिक ऑनलाइन कार्यशालाओं का हिस्सा बनीं और 2023 तक उन्होंने 50 से अधिक ऑनलाइन एग्जीबिशन एवं वर्कशॉप में ख्याति कमाई. वर्तमान में वे चित्रकारी के अलावा भारतीय लोक कलाओं पर एक पुस्तक लिख रही हैं.
उपलब्धियां/पुरस्कार
• ‘ग्लोबल आर्ट कांटेस्ट- 2023’ में भारत से उनकी कलाकृति ‘अर्धनारीश्वर’ चयनित
• अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर लोक कला के क्षेत्र में योगदान के लिए राज्य सभा सांसद श्रीमती कांता करदम द्वारा त्रि-शक्ति सम्मान (2023)
• इंडिया आर्ट कार्निवल के इंटरनेशनल आर्ट एग्जीबिशन में 26th जनवरी 2024 को कलाकृति ‘माँ’ को एफ. एन. सूजा पुरस्कार प्राप्त.
• इसके अलावा भोपाल की कई संस्थाओं द्वारा सम्मान तथा पुरस्कार प्राप्त
रुचियां : चित्रकला, शिल्पकला, भारतीय लोक कला एवं संस्कृति, बागवानी.