डॉ. सखा पाहवा

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डॉ. सखा पाहवा

sakharajeev@gmail.com. वेब: aarogyamhealings.com

2024-02-26 07:30:34

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जन्म दिनांक: 10 अप्रैल 1976. जन्म  स्थान: मुंबई.

 

माता: श्रीमती शिवकुमारी जोशी, पिता: श्री कृष्ण जोशी.

 

जीवन साथी: श्री राजीव पाहवा.

 

शिक्षा: स्नातकोत्तर (ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज़), पी.एच.डी. (चित्रकला). 

 

व्यवसाय: रेकी मास्टर, समाजसेवा. निदेशक- रूपांतरण सामाजिक एवं जनकल्याण संस्था

 

करियर यात्रा: चित्रकारी के गुण विरासत में प्राप्त हुए. माँ प्रोफेसर शिवकुमारी जोशी और पिता डॉ. श्री कृष्ण जोशी, दोनों उज्जैन के माधव महाविद्यालय में चित्रकला के प्रोफ़ेसर एवं सिद्धहस्त कलाकार थे. बचपन से ही कला के साथ-साथ आध्यात्मिक वातावरण घर में मिला. रेकी इन्होंने 1994 में सीखी. इस विधा से स्वयं को 'अस्थमा' में लाभ होने के पश्चात इन्होंने रेकी की कक्षाएं जन कल्याण हेतु उज्जैन में आयोजित करवाई. 1999 में रेकी मास्टर बनीं. सखा ने चित्रकला में पी.एच.डी. की उपाधि 2005 में प्राप्त की. कुछ समय नीमच के श्री सीताराम जाजू कॉलेज में अध्यापन कार्य भी किया. वे शौकिया तौर पर चित्रकला भी करती हैं. उज्जैन में पति श्री राजीव पाहवा के साथ अपने एनजीओ 'रूपान्तरण सामाजिक एवं जनकल्याण संस्था' के माध्यम से समाजसेवा व पर्यावरण के प्रति जागरूकता संबंधी कार्यों में संलग्न हैं. 

 

उपलब्धियां/सम्मान

समाज सेवा के क्षेत्र में- राजीव पाहवा जो स्वयं रेकी मास्टर हैं, के साथ मिलकर 2001 में अंजार और भचाऊ (गुजरात) में आए भूकंप के पश्चात इस क्षेत्र में निशुल्क रेकी उपचार दिया और औषधीय हवन किया. समाज सेवा स्वरूप यहाँ लगातार 4 वर्षों तक निशुल्क रेकी विद्यार्थियों और महिलाओं को सिखाते रहे ताकि अपने-अपने क्षेत्रों में ये लोगों का उपचार कर सकें. किशोर गृह के बच्चों को आत्मनिर्भर और स्वस्थ बनाने हेतु उज्जैन में रेकी सिखाने के साथ ही उन्हें रूपांतरण एवं सामाजिक जनकल्याण संस्था के माध्यम से (बिना किसी सरकारी अनुदान के) कई विधाओं जैसे स्क्रीन प्रिंटिग, पेंटिंग, दीया और पॉट डेकोरेशन, कढ़ाईटाई और डाई का प्रशिक्षण दिलवाया.

पर्यावरण के क्षेत्र में- विगत 21 वर्षों से पॉलिथीन उन्मूलन हेतु संकल्प अभियान एवं बड़ी रैलियों का आयोजन किया जा रहा है. सतत प्रयासों से नीमच में सीआरपीएफ में सन 2000 में पॉलिथीन बेन भी हुआ. बारिश का पानी बचाने के उद्देश्य से लोगों के घरों और बड़ी संस्थाओं में जाकर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग कार्य करवाया गया. नदी में प्रदूषण न हो, इस हेतु विगत 7 वर्षों से मिट्टी के गणेश का निशुल्क प्रशिक्षण उज्जैन एवं आसपास के शहरों में दिया जा रहा है. विगत 12 वर्षों से विवेकानंद जयंती पर स्कूल के बच्चों के मध्य प्रतियोगिता आयोजित की जाती है, जिसमें देश के प्रतिष्ठित नागरिक भी शामिल होते हैं. आगामी सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए, पाहवा दम्पत्ति ने 1.5 लाख वृक्ष क्षिप्रा किनारे की जमीनों पर वन विभाग के साथ मिलकर रोपित किये हैं, ताकि क्षिप्रा में जल संवर्धन हो सके. ये वृक्ष आज जंगल में परिवर्तित हो रहे हैं.

 

रुचियां: चित्रकला, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य.

 

अन्य जानकारी: समाज सेवा के अलावा वास्तु-ज्योतिष एवं आध्यात्मिकता में गहन रुचि. अध्यात्म में रुचि के चलते ध्यान, पास्टलाइफ रिग्रेशन, एनलाटनमेंट इंटैन्सिव की अनेक कार्यशालाओं में भाग ले चुकी हैं. समाज सेवा में पूर्ण जीवन समर्पित करने और स्वयं का परिवार आगे न बढ़ाकर विगत 21 वर्षों से “वसुधैव कुटुम्बकमके भाव के साथ अनेक बच्चों के आध्यात्मिक माता-पिता के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं. इनके द्वारा रेकी प्रशिक्षण हिमाचल प्रदेश, जयपुर (बनस्थली विद्यापीठ), अलवर, दिल्ली, मुम्बई, गुजरात व म.प्र. के अनेक स्थानों जैसे नागदा बिरलाग्राम एवं विदेश में भी दिया गया है. इन्होंने सुदूर गाँवों तक (जहां चिकित्सा सुविधाएं भी नही हैं) रेकी विद्या पहुँचाने का बीड़ा उठाया है. वृद्धजनों हेतु नियमित काव्य गोष्ठियों का आयोजन रूपांतरणके सभागार में किया जा रहा है. ऑनलाइन रैकी प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है एवं कोरोना पेशेंट्स हेतु सेवा भाव के साथ प्रतिदिन ऑनलाइन रेकी एनर्जी हीलिंग की जा रही है.