सारिका घारू

Hot
-15%
सारिका

सारिका घारू

sarika7682@gmail.com

2024-02-07 09:59:30

15

जन्म: 15 जून, स्थान: सोहागपुर (होशंगाबाद).

 

माता: श्रीमती विद्या घारू, पिता: श्री रामचरण घारू.

 

शिक्षा: स्नातक (जीव विज्ञान), स्नातकोत्तर (अंग्रेजी), नेशनल डिप्लोमा-विज्ञान संचार (सीएसआइआर नई दिल्ली), पर्यावरण, खगोल व जंतु विज्ञान में डिप्लोमा.

 

व्यवसाय: विज्ञान प्रसारक/शिक्षिका.

 

करियर यात्रा: 2006 से आरंभ. वर्तमान में होशंगाबाद के शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल में अध्यापन कार्य.

 

उपलब्धियां/पुरस्कार: मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद भोपाल द्वारा दिया जाने वाला राज्य स्तरीय मध्यप्रदेश विज्ञान प्रतिभा सम्मान (2015), भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का नेशनल अवार्ड (2017), इंडियन साइंस राइटर्स एसोसिएशन नई दिल्ली का मिस इसवा अवार्ड (2012), हिंदुस्तान की बेटी अवार्ड (नई दिल्ली 2018), विज्ञान दिवस के अवसर पर साइंस एवं टेक्नोलॉजी विभाग राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित (28 फरवरी 2018), मप्र सरकार द्वारा सीवी रमन पुरस्कार (2019), आम लोगों के बीच विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिये यह सावित्री बाई फुले सम्मान, मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल द्वारा अगस्त 2012 में जूनियर रेडक्रॉस गतिविधियों में बेस्ट काउंसलर का अवार्ड सहित अनेक सम्मान तथा पुरस्कार प्राप्त. 2020 में बिना किसी टेलिस्कोप की मदद से खाली नेत्रों से दिखने वाली 20 खास खगोलीय घटनाओं का वैज्ञानिक कैलेंडर तैयार किया. हापर रेस सेमिनार बैंकाक व इंडियन साइंस कांग्रेस कोलकाता में शोध पत्र वाचन. 

 

विदेश यात्रा: एशियाई विज्ञान सम्मेलन-थाईलैंड (2013). 

 

रुचियां: आम लोगों एवं महिलाओं के बीच विज्ञान संचार अंधविश्वास के विरुद्ध वैज्ञानिक चेतना बढ़ाना. 

 

अन्य जानकारी: ग्रामीण-आदिवासी क्षेत्र के बच्चों में विज्ञान के प्रति अभिरुचि जाग्रत करने के लिये समर्पित मेंटोर के रूप में कार्यरत. विगत एक दशक से प्रत्येक प्राकृतिक एवं खगोलीय घटनाओं के पीछे चले आ रहे तथाकथित अंधविश्वास और मान्यताओं के वैज्ञानिक तथ्यों का स्पष्टीकरण करने का प्रयास. मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम संभाग के सुदूर आदिवासी अंचल में - जहां इंटरनेट, मोबाइल व कंप्यूटर नहीं हैं, वहां गीत गाकर विज्ञान की अलख जगा रही हैं. इंटरनेट की पहुंच से दूर इन गांवों में कोरोना संक्रमण के चलते विद्यार्थियों को शिक्षा खासकर विज्ञान जैसे जटिल विषय की शिक्षा देना मुश्किल काम था, लेकिन सारिका ने विज्ञान के गीत गाकर इसे आसान बना दिया. सारिका ने स्वयं की आवाज में 'गुनगुनाए विज्ञान, बढ़ाए ज्ञान' नाम से 25 विज्ञान गीतों का पाठ्यक्रम आधारित वीडियो एल्बम बनाया है. प्रतिदिन अंचल के किसी गांव में दो से तीन घंटे गीतों, पोस्टर व व्याख्यान के माध्यम से विद्यार्थियों को विज्ञान के नए-नए आविष्कार, उपयोगिता और रोजगार की संभावना से अवगत कराती हैं. होशंगाबाद के अलावा आदिवासी बहुल अलीराजपुर, अनूपपुर, मंडला, सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल,  शहडोल में 3 सौ से अधिक कार्यक्रम. इसके अलावा भोपाल में विगत पांच वर्षो में 150 से अधिक वैज्ञानिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित. सारिका ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सांडिया के पुराने प्रयोगशाला भवन को साइंस सेंटर सी साज सज्जा दी है. हाईस्कूल पाठ्यक्रम के अनेक प्रयोगों को खुली प्रयोग शाला के रूप में रखा गया. प्रयोग करने के लिए टेबल, कुर्सी से लेकर शेल्फ, भवन तथा फर्श की आकर्षक पेंटिंग, बिजली फिटिंग आदि सभी कार्य उन्होंने स्वयं के व्यय पर किये, प्रयोगशाला का नाम विज्ञानज्योत शाला रखा है.