जन्म: 18 जून, स्थान: सागर.
माता: श्रीमती राजकुमारी रांधेलिया, पिता: स्व. श्री सिंघई देवकुमार रांधेलिया.
जीवन साथी: श्री प्रकाश मलैया. संतान: पुत्र -01, पुत्री -01.
शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी साहित्य).
व्यवसाय: स्वतंत्र लेखन.
करियर यात्रा: लेखन के साथ-साथ विगत बीस वर्षों से जैन कथाओं पर आधारित नाटकों का लेखन, निर्देशन एवं मंचन, स्वतंत्र लेखन एवं सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय, कभी-कभी बतौर अतिथि लेक्चरर सेवाएं जारी.
उपलब्धियां/सम्मान
प्रकाशन
• ‘सन्नाटे का चक्रव्यूह’ (काव्य संग्रह)
• लघुकथा संग्रह एवं नाट्य संग्रह प्रकाशनाधीन
• दो बार स्वर्ण पदक प्राप्त (1. यूनिवर्सिटी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने हेतु, 2. महिला परीक्षार्थियों में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त करने हेतु)
• आकाशवाणी जयपुर एवं जबलपुर से कविताओं, कहानियां एवं नाटकों का प्रसारण
• नाटक के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त, नाटक ‘आत्मान्वेषी’ (आचार्य विद्यासागर जी के संपूर्ण जीवन वृत्त पर आधारित नाट्य रूपांतरण), द्वंद्व के क्षण (भगवान बुद्ध के वैराग्य की मूलभूत चेतना और आत्म स्वरूप की खोज पर आधारित नाटक ) का देश के अनेक मंचों से मंचन
• साप्ताहिक हिंदुस्तान, धर्मयुग, नवनीत, अणुव्रत, टाइम्स ऑफ इंडिया, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका आदि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन.
सम्मान
• कादम्बरी सम्मान
• पाथेय सम्मान
• विप्र कुल तुलसी नगर गौरव सम्मान
• इंडिया पोयटेस सम्मान पूना
• तुलसी साहित्य अकादमी भोपाल द्वारा तुलसी साहित्य सम्मान सहित स्थानीय संस्थाओं द्वारा अनेक सम्मान तथा पुरस्कार प्राप्त.
रुचियां: बागवानी, समाज सेवा, कुकिंग.
अन्य जानकारियां: स्कूली दिनों से ही लेखन के लिए रुझान, विधाएं – कविता, कहानी, लघुकथा, लेख, संस्मरण, नाटक. राजस्थान लेखिका साहित्य संस्थान की स्थापक सदस्य, अध्यक्ष -हिंदी लेखिका संघ, जबलपुर मप्र, प्रांतीय सह कोषाध्यक्ष-अखिल भारतीय दिगंबर जैन महिला परिषद, संरक्षिका-आदिनाथ शाखा, गोल बाजार, जबलपुर, संस्कारधानी जबलपुर की सभी साहित्यिक संस्थाओं में निरंतर सक्रियता. नाट्य लेखन के क्षेत्र में महिला लेखिकाएं बहुत कम हैं, अर्चना जी इस क्षेत्र में सक्रियता से काम कर रही हैं.