इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी शादी को शुरू से ही शून्य घोषित कर दिया जाता है, तो पति पर पत्नी को भरण-पोषण देने की जिम्मेदारी नहीं बनती। यह फैसला न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की एकल पीठ ने गाजियाबाद निवासी राजीव सचेदवा की याचिका पर दिया।
याची ने 2015 में शादी की थी। मतभेदों के बाद पत्नी ने पति और उसके परिवार के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज कराए। बाद में पता चला कि पत्नी की पहले से शादी हो चुकी थी और उसने यह बात अदालत से छुपाई थी। इसके बाद पति ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत शादी को अमान्य घोषित करने के लिए आवेदन किया जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसके बावजूद, घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पत्नी को 10 हजार रुपये प्रति माह का भरण-पोषण दिया गया। याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी।
कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद भरण पोषण के आदेश को रद्द कर दिया। कहा कि पहली शादी के रहते दूसरी शादी कानून के खिलाफ और शून्य है। जब शादी को शून्य घोषित कर दिया जाता है तो दोनों पक्षों के बीच कोई कानूनी संबंध नहीं रह जाता और ऐसे में भरण-पोषण का आदेश वैध नहीं है।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *