सुप्रीम कोर्ट : महिला के जेवरों पर किसी अधिकार नहीं

blog-img

 सुप्रीम कोर्ट : महिला के जेवरों पर किसी अधिकार नहीं

नई दिल्ली। महिला के पास रखे 'स्त्रीधन' पर सिर्फ उसका ही अधिकार होता है। उस धन को महिला के परिजन यानी मां या पिता भी नहीं मांग सकते। सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान यह अहम व्यवस्था दी। अदालत ने कहा कि भले ही एक लड़की को शादी के दौरान उसके माता-पिता ने ही जेवरात दिए हों, लेकिन उससे वापस नहीं मांगा सकता। उस धन पर सिर्फ उस लड़की का ही अधिकार होता है। अदालत ने कहा कि यदि महिला का तलाक भी हो जाए तो भी उसके पिता स्त्रीधन को वापस नहीं मांग सकते। यह मामला पी. वीरभद्र राव नाम के एक शख्स का है, जिन्होंने बेटी की शादी 1999 में की थी। इसके बाद उनकी बेटी और दामाद अमेरिका चले गए थे।

शादी के 16 साल बाद बेटी ने तलाक का केस फाइल कर दिया था। यही नहीं अमेरिका की लुइस काउंटी सर्किट कोर्ट ने दोनों को फरवरी 2016 में आपसी सहमति से तलाक को मंजूरी दे दी थी। एक समझौते के तहत पति और पत्नी के बीच घर, पैसों को लेकर भी बात हो गई थी। इसके बाद महिला ने 2018 में दूसरी शादी कर ली थी। तीन साल के बाद महिला के पिता ने उसके ससुराल वालों के खिलाफ एफआईआर करा दी थी। उन्होंने लड़की के जेवरों की मांग की थी। इस एफआईआर के खिलाफ बेटी की पहली ससुराल के लोग तेलंगाना हाईकोर्ट पहुंचे, लेकिन अर्जी खारिज हो गई। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी।

जस्टिस जेके माहेश्वरी और संजय करोल की बेंच ने बेटी के सास-ससुर को राहत दे दी। अदालत ने कहा कि महिला के पिता के पास कोई हक नहीं है कि वह बेटी के स्त्रीधन को वापस लौटाने की मांग करे। ऐसा अधिकार सिर्फ उस महिला को ही है, जिसका वह स्त्रीधन था। यहां स्त्रीधन से अर्थ जेवर एवं महिला से जुड़ी अन्य चीजों से है। जस्टिस संजय करोल ने अपने फैसले में लिखा, 'यह एक सामान्य नियम है और कानून भी इस बात को मानता है कि एक महिला के पास मौजूद स्त्रीधन की वह पूर्ण अधिकारी होती है। उसे कोई बांट नहीं सकता।'

शीर्ष अदालत का यह फैसला अहम है और भविष्य के ऐसे कई मामलों में नजीर बन सकता है। अदालत ने कहा कि पति या फिर पूर्व पति का स्त्रीधन पर कोई अधिकार नहीं है। इसके अलावा उसके पिता का भी कोई अधिकार नहीं है, जब तक कि महिला जीवित है और अपने बारे में फैसले लेने में सक्षम है।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



मप्र हाईकोर्ट  : किसी के भी साथ रहने
अदालती फैसले

मप्र हाईकोर्ट  : किसी के भी साथ रहने , को स्वतंत्र है शादीशुदा महिला

बयान में महिला ने साफ शब्दों में कहा कि वह बालिग है और अपनी मर्जी से याचिकाकर्ता धीरज नायक के साथ रहना चाहती है। महिला न...

दिल्ली हाईकोर्ट : सहमति से तलाक की पहली
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : सहमति से तलाक की पहली , अर्जी के लिए 1 साल का इंतजार अनिवार्य नहीं

पीठ ने कहा कि एचएमए की धारा 13बी के तहत अनिवार्य अवधि को माफ किया जा सकता है, ताकि एक जोड़े को ऐसे शादी के रिश्ते में फं...

बॉम्बे हाईकोर्ट : अस्थायी आधार पर काम करने
अदालती फैसले

बॉम्बे हाईकोर्ट : अस्थायी आधार पर काम करने , वाली महिला मातृत्व अवकाश के लाभों की हकदार

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वह मई 2021 से बिना किसी रुकावट और लगातार पद पर काम कर रही थी और सेवा में ब्रेक तकनीकी प्रकृत...

इलाहाबाद हाईकोर्ट :  दुल्हन के नाबालिग होने
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : दुल्हन के नाबालिग होने , मात्र से हिंदू विवाह अमान्य नहीं

मामला एक युद्ध विधवा और उसके ससुराल वालों के बीच मृतक सैन्य अधिकारी के आश्रितों को मिलने वाले लाभों के अधिकार से जुड़ा ह...

दिल्ली हाईकोर्ट  :  विवाहेतर संबंध का होना
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट  :  विवाहेतर संबंध का होना , आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं

पीठ ने कहा कि आरोपित अगर चाहता तो शरियत के अनुसार तलाक दे सकता था, लेकिन उसने इसके बजाय मौजूदा शादी जारी रखी।