दीदी की ई-पाठशाला:आदिवासी महिलाएं सीख रहीं बैंकिंग

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दीदी की ई-पाठशाला:आदिवासी महिलाएं सीख रहीं बैंकिंग

छाया : पीपुल्स समाचार  

• डिंडौरी कलेक्टर का बैगा और गोंड समाज की महिलाओं के लिए नवाचार

भोपाल। जनजातीय बहुल जिला डिंडौरी में बैगा और गोंड आदिवासियों को आत्मनिर्भर बनाने और आर्थिक मोर्चे पर मजबूत करने के उद्देश्य से दीदी की ई-पाठशाला में महिलाओं को बैंक में राशि जमा करवाना खातों से लेनदेन का काम सिखाया जा रहा है। डिंडौरी कलेक्टर विकास मिश्रा ने हर गांव-हर वार्ड में ई-पाठशाला प्रारंभ करने की योजना  तैयार की है। इसकी शुरुआत भी  हो गई है। अब आदिवासी महिलाएं बैंकिंग से जुड़े जरूरी कामकाज सीख रहीं हैं।

उल्लेखनीय है कि डिंडौरी जिले में आदिवासी समुदाय की 40 वर्ष से अधिक महिलाओं में साक्षरता की बेहद कमी है। ऐसी महिलाएं बैंकों में ऋण संबंधी कार्रवाई पूरी कराने में असमर्थ रहती हैं इसलिए बैंक से रुपयों का लेन-देन भी नहीं कर पाती। मनरेगा का जॉब कार्ड होते हुए भी आधार से लिंक कराने में समस्या सामने आती है। इसके अलावा उन्हें अन्य कई और समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। इन सबसे निजात पाने के लिए ही दीदी की ई-पाठशाला योजना शुरू की गई है।

क्या है योजना?

योजना के तहत महिलाओं को जानकारी देने के लिए गांव की पढ़ी लिखी महिलाओं और बैंकिंग से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी सहयोग करेंगे। ये जानकार इन महिलाओं को पाठशाला में आकर बैंकिंग संबंधी पूरी जानकारी देंगे।

कलेक्टर पहुंचे पाठशाला

दीदी की ई-पाठशाला के संचालन की जिम्मेदारी राष्ट्रीय शहरी एवं ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत जिला इकाइयों को दी गई है। कलेक्टर विकास मिश्रा ने पाठशाला में पहुंचकर ग्रामीण एवं शहरी महिलाओं को बताया कि वे बिना किसी का सहयोग लिए स्वयं भी बैंक का कामकाज कर सकती हैं।

• बैगा और गौंड समुदाय की महिलाओं में जागरुकता की कमी है। अभी ब्लॉकवार दीदी की ई-पाठशाला शुरू की है। इसे पंचायत तक ले जाने की योजना है

मीना परते, डीपीएम, ग्रामीण आजीविका मिशन, डिंडौरी

दीदी की पाठशाला में महिलाओं को वित्तीय ई-बैकिंग, कागज रहित लेन देन, बीमा एवं ऋण से संबंधित योजनाओं के विषय में जानकारी दी जायेगी।

श्वेता तिवारी, सिटी मिशन मैनेजर, शहरी ग्रामीण आजीविका मिशन, डिंडौरी

सन्दर्भ स्रोत : पीपुल्स समाचार  

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