छाया : तनिषा मेहता के फेसबुक अकाउंट से
नेटफ्लिक्स पर हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'भक्षक' में भोपाल की तनीषा मेहता भी नजर आ रही हैं। वे इस फिल्म में सुधा कुमारी का किरदार निभा रही है। फिल्म में भूमि पेडनेकर के साथ उनका संवाद “दूसरों के दर्द में दुखी होना भूल गए हैं क्या? क्या अब भी आप अपनी गिनती इंसानों में करते हैं या अपने आप को भक्षक मान चुके हैं?” खूब सुर्खियाँ बटोर रहा है।
तनीषा भोपाल के संस्कार वैली स्कूल में पढ़ी हैं और दिल्ली यूनिवर्सिटी के गार्गी कॉलेज से स्नातक किया है कॉलेज के दौरान तनीषा को एम्स थिएटर फेस्टिवल में बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला है। वह पीयूष मिश्रा के नाटक 'जब शहर हमारा सोता था' में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दे चुकी हैं। तनीषा ने कुछ शॉर्ट फिल्में और वीडियो एल्बम में भी काम किया है।
फिल्म के प्रोड्यूसर गौरी खान और गौरव वर्मा हैं। फिल्म की कहानी सुधार ग्रह में होने वाले अनाचार के इर्द-गिर्द घूमती है। सुधा मुनव्वरपुर के एक शेल्टर होम में कुक का काम करते हुए यहां होने वाले शोषण की साक्षी है। फिल्म में वैशाली (भूमि पेडनेकर) एक पत्रकार है और शेल्टर होम्स में होने वाले दुष्कर्मों को उजागर करना चाहती है। फिल्म में मोनो लॉग, जो अपराधियों की गिरफ्तारी की ओर ले जाता है, भावनात्मक तौर से बहुत कुछ कहने और करने का अवसर देता है। गवाही देते हुए जब सुधा कहती है कि 'उस रात अगर हम नहीं भाग पाते, तो शायद कभी नहीं भाग पाते'। तनिषा बताती हैं मैंने इस मोनो लॉग के दौरान किरदार के अंदर मौजूद सभी भावनाओं को व्यक्त किया।
संदर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर
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