सुप्रीम कोर्ट : जायदाद लेकर बुजुर्ग मां-बाप

blog-img

सुप्रीम कोर्ट : जायदाद लेकर बुजुर्ग मां-बाप
को छोड़ देने वाले बेटों को गंवानी पड़ सकती है संपत्ति

अपने बुजुर्ग मां-बाप को अस्पताल में छोड़कर गायब हो जाने के मामले दिन-ब-दिन दर्ज हो रहे हैं। कर्नाटक के बेलगावी इस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में अकेले 150 से ज्यादा बुजुर्गों को छोड़ने के मामले सामने आए हैं। वहीं, राज्य के दूसरे चिकित्सा संस्थानों की बात की जाए तो ऐसे और सैकड़ों मामले सामने आए हैं। कर्नाटक के मंत्री शरण प्रकाश पाटिल ने भी इसे लेकर एक बड़ा बयान दिया है। पाटिल ने कहा है कि अगर बच्चों ने अपने बुजुर्ग माता-पिता को अस्पतालों में छोड़ दिया है तो उनकी संपत्ति का हस्तांतरण और वसीयत रद्द कर देना चाहिए। अक्सर ये समस्या उन्हीं मामलों में आती है जब बुजुर्ग अपनी संपत्ति बच्चों के नाम कर देते हैं। सवाल है कि ऐसे मामलों में मां-बाप के पास क्या विकल्प है। इसे लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट क्या टिप्पणी कर चुकी है। आइये जानें

कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला

कर्नाटक के हाइकोर्ट ने पिछले साल साफ किया था कि ऐसे गिफ्ट डीड को रद्द किया जा सकता है, जहां संपत्ति हासिल करने के बाद बच्चे अपने बुजुर्ग मां-बाप की जरुरतों का ध्यान नहीं रख रहे हों। कर्नाटक उच्च न्यायालय के तत्कालीन जज सूरज गोविंदराज ने ये टिप्पणी की थी। मामला कुछ यूं था कि एक वरिष्ठ महिला ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। महिला का दावा था कि उसने अपनी एक संपत्ति को अपने बेटे को ये सोचकर गिफ्ट में दिया था कि वह अपने मां-बाप का ख्याल रखेगा, लेकिन बाद में उसने इस हवाले से कोई दिलचस्पी नहीं दिखलाई। बेटे की दलील थी कि गिफ्ट देते हुए ऐसा कोई नियम और शर्त डीड में नहीं था। हालांकि, अदालत ने तब बेटे की दलीलों से इत्तेफाक नहीं रखा। कर्नाटक हाईकोर्ट के जज ने गिफ्ट डीड को रद्द कर दिया था और संपत्ति को 60 दिनों के भीतर बुजुर्ग महिला को सौंपने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट का इस पर फैसला

इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट भी एक अहम फैसला सुना चुका है। अदालत ने इसी बरस कहा था कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण कानून, 2007 के तहत बनाई गई ट्रिब्यूनल को ये अधिकार है कि अगर बच्चे मां-बाप की देखभाल का दायित्त्व नहीं निभाते हैं तो ट्रिब्यूनल उस संपत्ति को माता-पिता को वापस लौटाने का आदेश दे सकता है। अदालत ने ये भी कहा था कि ट्रिब्यूनल संपत्ति को बहाल करने के साथ ही साथ बेदखली का भी आदेश दे सकते हैं।

ये मामला एक बुजुर्ग महिला से संबंधित था। जिसने 2019 में एक गिफ्ट डीड के जरिये अपनी संपत्ति अपने बेटे को हस्तांतरित किया था। मगर इस शर्त के साथ कि वह उसकी और उसके पति की देखभाल करेगा। गिफ्ट डीड में एफिडेविट और वादा करने के बाद कथित तौर पर लड़के ने मां-बाप की उपेक्षा की। बुजुर्ग नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के मकसद के तहत दिया गया ये फैसला तब आया था जब देश की सर्वोच्च अदालत ने उस गिफ्ट के वसीयत को रद्द कर दिया और संपत्ति माँ को लौटाने का आदेश दिया।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



मुबारत पद्धति से लिया तलाक नामंजूर
अदालती फैसले

मुबारत पद्धति से लिया तलाक नामंजूर , मप्र हाईकोर्ट ने दोबारा सुनवाई के दिए निर्देश

सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि पत्नी को पढ़ाई के लिए विदेश जाना है। इसलिए कुटुंब न्यायालय को शीघ्रता से सुनवाई के...

सुप्रीम कोर्ट : मां की जाति ही तय करेगी बच्चे की पहचान
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट : मां की जाति ही तय करेगी बच्चे की पहचान

CJI सूर्यकांत ने कहा-बदलते समय के साथ माता की जाति के आधार पर जाति प्रमाण पत्र क्यों नहीं जारी किया जाना चाहिए?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता से शादी
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता से शादी , करने पर बलात्कार का आरोप किया रद्द

कहा- आरोपी से पीड़िता ने रचाई शादी, अब बच्चे के साथ जी रहे खुशहाल जीवन.अपराध सिद्ध होने की कम संभावना

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : अविवाहित बेटी को पिता
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : अविवाहित बेटी को पिता , से गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार

कोर्ट ने कहा- बेटी की जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता पिता

सुप्रीम कोर्ट : तलाक दिया तो लौटना होगा सारा दहेज
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट : तलाक दिया तो लौटना होगा सारा दहेज

तलाक से जुड़े केस पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

केरल हाईकोर्ट : पत्नी की बेवफाई के कारण पति
अदालती फैसले

केरल हाईकोर्ट : पत्नी की बेवफाई के कारण पति , को गुजारा भत्ता देने से मिल सकती है छूट

कोर्ट ने कहा कि उपरोक्त परिस्थितिजन्य साक्ष्य, संभावनाओं की अधिकता के आधार पर, 'व्यभिचार में रहने' के तथ्य को स्थापित कर...