छाया: लतिका भट्ट के लिंक्डइन अकाउंट से
• भारत और यूके में शोध कर बनाया फॉर्मूला, पेटेंट मिला
भोपाल। मच्छरों के काटने से बचने के लिए तमाम तरह के उपाय करने के मच्छरों से बचना संभव नहीं हो पाता। लोगों की इसी परेशानी को हल करने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टैक्नोलॉजी (निफ्ट) भोपाल के टेक्सटाइल डिजाइन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. लतिका भट्ट ने एक ऐसा नैनो इमल्शन सॉल्यूशन तैयार किया, जिसका इस्तेमाल कपड़ों पर करने से न सिर्फ मच्छर आपसे दूर रहेंगे, बल्कि इसके पास आते ही 70 फीसदी मच्छर मर भी जाते हैं। डॉ. लतिका ने पेटेंट के लिए 2016 में आवेदन किया था और उन्हें जनवरी-2024 में पेटेंट मिल गया है।
ऐसे की तलाश
मच्छरों से बचाव तौर पर डॉ. लतिका ने नए विकल्प की तलाश वर्ष 2014 में शुरू की। उस वक्त वे मुंबई के इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी से पीएचडी कर रही थी। इस शोध के लिए उन्हें डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की न्यूटन भाभा फेलोशिप भी मिली, जिसके बाद उन्होंने इस शोध को यूके के लिवरपूल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन में आगे बढ़ाया।
सेवंती, यूकेलिप्टस और लेमन ग्रास का इस्तेमाल
आमतौर पर डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया के मच्छरों को रोकने के लिए हमारे पास अनेक रसायनिक आधारित विकल्प मौजूद हैं, जो इंसानों के लिए सुरक्षित नहीं हैं। साथ ही इन केमिकल्स का मच्छरों पर असर भी कम हो गया है। इसीलिए नए रिपेलेंट की तलाश के लिए सेवंती, यूकेलिप्टस और लेमन ग्रास नेचुरल ऑयल्स का इस्तेमाल किया, इससे यह फॉर्मूला इंसानों के लिए सुरक्षित है।
अफ्रीका के मच्छरों पर फॉर्मूले का परीक्षण
इन तेलों का इस्तेमाल लतिका ने नायलॉन और कॉटन फेब्रिक पर किया और इसका परीक्षण अफ्रीका के उन मच्छरों पर किया, जिन्हें सबसे ज्यादा रेजिस्टेंट स्पिशीज माना जाता है, यानी ऐसे मच्छर जो हर तरह के केमिकल्स के बीच पनपना सीख चुके हैं। यह फॉर्मूला कपड़ों पर कब तक कारगर होगा, इसके लिए इसका वॉश टेस्ट भी किया गया, जिसमें पता चला कि 25 बार की धुलाई तक भी कपड़ा 70% मच्छरों को खुद से दूर रखने की क्षमता रखता है ।
संदर्भ स्रोत: दैनिक भास्कर
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