छाया : पूजा आयंगर के फेसबुक अकाउंट से
मध्यप्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली पूजा आयंगर गरीब तबके की महिलाओं और युवतियों को आत्मनिर्भर बनाकर उनके जीवन में रोशनी भरने का काम कर रहीं हैं। समाजसेवा का यह काम उन्हें अपनी मां से विरासत में मिला, जिसे वे पूरे मनोयोग से आगे बढ़ा रही हैं। इस काम के लिए उन्होंने अपना सफल करियर (‘फिल्म मेकिंग एंड एडिटिंग’) तक छोड़ दिया।
बता दें कि गैस कांड त्रासदी के दौरान पूजा की मां इंदिरा आयंगर ने लोगों की जान बचाने के लिए अपना योगदान दिया था। इतना ही नहीं, उनकी माँ और मदर टेरेसा ने मिलकर द्वारका नगर में महाशक्ति सेवा केन्द्र की स्थापना कर महिलाओं को सिलाई की कला सिखा कर आत्मनिर्भर बनाने का काम शुरू किया, जिसे आज उनकी बेटी समाज सेविका पूजा संभाल रही है। महाशक्ति सेवा केंद्र के माध्यम से पूजा ने गैस पीड़ितों के लिए दिन रात काम कर, उनकी ज़िन्दगी को नयी उम्मीद दी। वे लगातार महिलाओं के कौशल विकास और नियमित रोजगार को बढ़ाने पर ध्यान दे रही हैं।
मां ने तीन गैस राहत सेंटर चलाकर की थी शुरुआत
पूजा बताती हैं कि मां को गैस राहत के लिए तीन वर्क सेंटर मिले, वहां महिलाओं को सिलाई और जरी-जरदोजी का काम सिखाया जाता था। मैं भी मां की मदद करती थीं। खुद डाक्यूमेंट्री भी बनाती थी। तब विचार आया कि मैं भी एक महिला की जिंदगी बदल सकूँ तो जीवन सफल हो जाएगा। 10-15 वर्ष काम करने के बाद 2016 में महाशक्ति के लिए कार्य करने लगी। उस दौरान महसूस हुआ कि महिलाओं को सिर्फ प्रशिक्षण देने से कुछ नहीं होगा। ऐसा काम करना होगा जिससे उन्हें 12 महीने रोजगार मिल सके। इसके बाद मैंने पुराने कपड़ों से सॉफ्ट टॉय, बैग, राखियाँ, ड्रेस बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया। अब महिलाएं स्थायी रूप से काम करके छह से सात हजार कमाती हैं।
कोरोना से पहले शुरू किया कंप्यूटर सेंटर
ऐसी लड़कियां जो संस्था से तो जुड़ रही थीं, लेकिन उन्हें सिलाई में दिलचस्पी नहीं थी। वे कंप्यूटर या अंग्रेजी सीखना चाहती थीं, जिससे वे नौकरी कर सकें। उनके लिए पूजा ने कोरोना के पहले कंप्यूटर सेंटर शुरू किया। इसके लिए कोलंबिया यूनिवर्सिटी से सेटअप तैयार किया। इसके बाद 10 कंप्यूटर मंगवाए गए, जिसमें कम्प्यूटर कोर्स, बेसिक अंग्रेजी, कॉमर्स की शिक्षा देना शुरू किया। यहाँ मोटिवेशनल फिल्में भी दिखाई जाती हैं, जिससे लड़कियां आत्म निर्भर बन सकें। अब तक एक हजार से ज्यादा महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इनमें से कई महिलाएं सरकारी और निजी संस्थाओं में कार्यरत हैं। कुछ महिलाओं ने घर से ही काम शुरू कर दिया। एक क्रोशिया यूनिट भी शुरू की है, जहां क्रोशिया से उत्पाद बनाकर बेचा जाता है।
पूजा पशु सेवा में भी अपना भरपूर समय देती हैं। स्वच्छ भारत अभियान के तहत पूजा ने 50 हज़ार पुराने कपड़े से बने बैग बनाकर नगर निगम को दिए। जिसके बाद बचे हुए कपड़े की कतरनों से शहर के आवारा कुत्तों के लिए बिस्तर बनवाए। पूजा ने गाय-बकरियों के कारण बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए रेडियम बेल्ट्स बनवाये। यही रेडियम बेल्ट्स जानवरों के गले में डाले जाते हैं, जिससे रात के वक़्त इन जानवरों की टक्कर गाड़ियों से न हो। इन्हीं नेक कामों के बाद महाशक्ति सेवा केंद्र को भोपाल नगर निगम द्वारा सम्मानित किया गया। 2019 में पूजा आयंगर को भोपाल स्वच्छ भारत अभियान का ब्रांड एम्बेसडर से भी पुरस्कृत किया गया है।
सन्दर्भ स्रोत : नव दुनिया
सम्पादन : मीडियाटिक डेस्क
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *