ग्वालियर हाईकोर्ट ने तलाक के मामले में पत्नी के आरोपों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि पत्नी का पति पर पराई औरत से अवैध संबंध का आरोप पति के प्रति क्रूरता है। साथ ही कुटुंब न्यायालय ने तलाक की डिक्री पारित की थी, जिसे कोर्ट ने सही ठहराया।
मध्य प्रदेश में ग्वालियर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पति-पत्नी के बीच विवाद को लेकर तलाक की डिक्री को बरकरार रखा। कोर्ट ने पत्नी द्वारा लगाए गए पराई औरत से संबंध के आरोपों को गंभीर माना और इसे पति के प्रति क्रूरता बताया। इस फैसले में अदालत ने स्पष्ट किया कि भिंड की अदालत ने क्रूरता व परित्याग के आधार पर तलाक की डिक्री पारित करने में कोई गलती नहीं की है।
ग्वालियर हाईकोर्ट का अहम फैसला
ग्वालियर हाईकोर्ट (Gwalior High Court) की युगल पीठ ने एक तलाक के मामले में पत्नी द्वारा लगाए गए अपील को खारिज करते हुए कुटुंब न्यायालय भिंड द्वारा पारित तलाक की डिक्री को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा पराई औरत से अवैध संबंध का आरोप लगाना, पति के प्रति क्रूरता है। यह मामला 2008 में हुए एक विवाह से जुड़ा है।
पत्नी ने लगाए थे गंभीर आरोप
दरअसल, पत्नी के मायके से आने के बाद विवाद शुरु हुआ। पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसके पति के पराई औरत से अवैध संबंध हैं। इसके बाद 2012 में पत्नी ने ससुराल छोड़ दिया और पति पर आरोप लगाए। पत्नी ने कुटुंब न्यायालय में यह बयान दिया कि पति ने पराई औरत के साथ संबंध बनाए हैं, लेकिन वह इसका कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकी।
कुटुंब न्यायालय ने तलाक की डिक्री पारित की
पत्नी के आरोपों को आधार बनाकर पति ने तलाक की याचिका कुटुंब न्यायालय (family court ) भिंड में दायर की। न्यायालय ने क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक की डिक्री पारित (decree of divorce) की। पत्नी ने इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट ने कुटुंब न्यायालय के निर्णय को सही ठहराया।
हाईकोर्ट ने पत्नी के आरोपों को किया खारिज
मामले में हाईकोर्ट ने पति-पत्नी का पक्ष सुना। इस दौरान पति ने साफ इनकार किया कि वह पत्नी को साथ रखने के लिए तैयार नहीं है। वहीं पत्नी पराई औरत के संबंध को लेकर कुटुंब न्यायालय में दिए बयान का खंडन नहीं कर सकी। हाईकोर्ट ने पत्नी के लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए तलाक की डिक्री को सही माना। कोर्ट ने कहा कि जब कोई महिला अपने पति पर अवैध संबंध का आरोप लगाती है, तो यह क्रूरता के तहत आता है और ऐसे मामलों में तलाक दिया जा सकता है।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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