छाया : न्यूज़ 18
खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में अब पानी केवल एक जरूरत नहीं, बल्कि आंदोलन बन चुका है। वर्षों से जल संकट झेल रही जनता ने अब अपनी लड़ाई खुद उठाने का निर्णय लिया है और इसकी कमान संभाली है महिलाओं ने। ये महिलाएं अब खुद को ‘चंदा गैंग’ कहती हैं, जो न्याय के लिए शहरभर से सहयोग जुटा रही हैं।
2019 में निजीकरण बना जल संकट की जड़
इस लड़ाई की नींव 2019 में पड़ी, जब खंडवा नगर निगम ने शहर की जल आपूर्ति व्यवस्था एक निजी कंपनी ‘विश्वा’ को सौंप दी। लेकिन इस निर्णय के बाद हालात और बिगड़ गए। बार-बार पाइप लाइन फटने, बिजली की कमी और पानी के प्रेशर की समस्या आम हो गई। शहर के कई मोहल्लों में कई-कई दिन पानी नहीं आता, और जवाबदेही के नाम पर केवल बहाने मिलते हैं।
जब राष्ट्रपति तक भी नहीं सुनी गई आवाज़
जल संकट से जूझ रही इन महिलाओं ने पहले राष्ट्रपति को इच्छा मृत्यु की मांग करते हुए पत्र लिखा। लेकिन जब कोई जवाब नहीं मिला, तो अब उन्होंने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने की तैयारी शुरू की है और इसके लिए वे खुद चंदा इकट्ठा कर रही हैं।
नेता नहीं, आम नागरिक हैं हम- अनीता धोतरे
इस आंदोलन की अगुवाई कर रहीं अनीता धोतरे कहती हैं, “हम किसी राजनीतिक दल से नहीं हैं। हम आम लोग हैं जो अपने पानी के अधिकार के लिए लड़ रहे हैं। ₹10, ₹50 या ₹100 — जो भी जितना दे सके, हम उससे सहयोग मांग रहे हैं ताकि वकील की फीस और कोर्ट खर्च पूरा कर सकें।”
शहर की गलियों में जंग, हाथों में चंदा बॉक्स
अब ये महिलाएं समूह बनाकर दुकानों, कॉलोनियों और घर-घर जाकर सहयोग मांग रही हैं। अनुष्का बेदानी, टैगोर कॉलोनी की निवासी कहती हैं, “हम नेतागिरी नहीं कर रहे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। आज नहीं लड़े तो कल और बुरा होगा।”
डिजिटल पेमेंट से लेकर नकद तक, हर मदद की जगह
इस मुहिम में तकनीक का भी सहारा लिया जा रहा है। लोग गूगल पे या फोन पे के ज़रिए सीधे वकील के खाते में पैसा भेज सकते हैं। जो डिजिटल नहीं कर सकते, वो संपर्क कर नकद दे रहे हैं।
गर्मी का कहर और प्रशासन की चुप्पी
इन दिनों खंडवा में गर्मी चरम पर है और जल संकट हर रोज़ गहराता जा रहा है। कई इलाकों में हफ्तों से नल नहीं खुले, टैंकरों की आपूर्ति अनियमित है और नगर निगम व निजी कंपनी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टाल रहे हैं। जनता को छोड़ दिया गया है, अपने हाल पर।
अब उम्मीद हाईकोर्ट से
‘चंदा गैंग’ द्वारा दायर जनहित याचिका पर आगामी दिनों में सुनवाई होनी है। यह एक कानूनी लड़ाई है, जिसमें कोई नेता नहीं, कोई सेलिब्रिटी नहीं बल्कि आम लोग हैं, जिनके हौसले असाधारण हैं।
एक मिसाल: जब आम लोग बनें व्यवस्था के आईने
खंडवा की यह पहल इस बात की मिसाल है कि जब प्रशासन विफल हो जाए, तब आम जनता भी अगर एकजुट हो जाए तो बदलाव ला सकती है। ‘चंदा गैंग’ केवल एक विरोध का नाम नहीं, बल्कि वह प्रतीक है कि लोकतंत्र की असली ताकत जनता के हाथ में होती है बशर्ते वह जागरूक हो।
सन्दर्भ स्रोत : न्यूज़ 18
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