छाया : दैनिक भास्कर
भोपाल। मप्र की पैराकयाक रजनी झा ने हंगरी में आयोजित क्वालिफाइंग टूर्नामेंट की केएल-2 वुमंस 200 मीटर सेमीफाइनल में 1:09:25 का समय निकालकर न केवल फाइनल में प्रवेश किया, बल्कि पेरिस पैरालिंपिक के लिए क्वालिफाई भी कर लिया है। वह मप्र की तीसरी पैरा खिलाड़ी होंगी जो पेरिस पैरालिंपिक में उतरेंगी। उनसे पहले पैराकयाक प्राची यादव पेरिस पैरालिंपिक का टिकट कटा चुकी हैं।
रजनी मूलतः ग्वालियर की रहने वाली हैं और मप्र कयाकिंग-केनोइंग एसोसिएशन ने उन्हें छोटी झील में तराशा है। छह महीने पहले वे मप्र राज्य अकादमी में एसोसिएट प्लेयर के रूप में जुड़ी हैं। रजनी को विक्रम अवार्ड मिल चुका है वे आरटीओ में नौकरी करती हैं।
नहीं मानी हार
रजनी जब एक साल की थी, तब उन्हें पोलियो हो गया। वे हिल-डुल तक नहीं पाती थी। मां उन्हें तकिया लगाकर बैठाती और खिलाती थीं। रजनी का कई जगह इलाज करवाया गया, लेकिन ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। डॉक्टर के कहने पर 6 साल की उम्र से वर्ष 1998 में उन्होंने तैराकी शुरू की। परिणाम स्वरूप वे खुद से चलने लगी, खाना खाने लगी। बाद में वे एलएनआईपी में तैराकी के लिए जाने लगी। इसके बाद साल-2000 में रजनी ने अपना पहला नेशनल ग्वालियर में खेला। उसमें उन्हें एक रजत और एक ब्रांज मेडल मिला। इसके बाद से अब तक अनेक पदक जीत चुकी हैं।
2006 में पहला अन्तराष्ट्रीय खेला
वर्ष-2006 में उनका चयन मलेशिया में खेले गए एशिया फेसिपिक गेम्स के लिए हुआ। यह उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। एशियन गेम्स की तरह ही यह होते हैं। वहां जाकर उन्हें महसूस हुआ कि उन्होंने अभी तक कुछ भी नहीं किया था। वहां उन्हें एक कांस्य व एक स्वर्ण पदक मिला था। इसके बाद वे खेल को लेकर गंभीर हो गई और तय किया कि अब उन्हें इसमें ही आगे बढ़ना है।
संदर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर
Vijay nath thakur – 24 May, 2024
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