हिमाचल हाईकोर्ट : समझौते के बाद पत्नी को सालों तक केस में उलझाना मानसिक क्रूरता

blog-img

हिमाचल हाईकोर्ट : समझौते के बाद पत्नी को सालों तक केस में उलझाना मानसिक क्रूरता

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि समझौता होने के बाद अपनी पत्नी को 2 साल तक मुकदमे में घसीटना मानसिक क्रूरता का स्पष्ट उदाहरण है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा के खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए पति की ओर से दायर अपील को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि समझौते का उल्लंघन करना विशेष रूप से जब एक पक्ष को परेशान करने के लिए किया जाए, तो वह अदालत द्वारा क्रूरता माना जाता है और यह कानूनी प्रक्रिया का भी दुरुपयोग है। खंडपीठ ने क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक के फैसले को सही ठहराया।

अपीलकर्ता पति ने मंडी पारिवारिक न्यायालय के 30 मई 2024 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी शादी को हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13(1) वन ए और 13 (1) वन बी के तहत क्रूरता और त्याग के आधार पर समाप्त कर दिया गया था। अपीलकर्ता की पत्नी ने पति के पिता और बहन के खिलाफ आईपीसी की धारा 498 ए 323, 504 और 506 के तहत एक एफआईआर दर्ज कराई थी। इस एफआईआर को रद्द करने के लिए अपीलकर्ता के पिता ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

इस मामले में दोनों पक्षों के बीच एक समझौता हुआ था। समझौते के तहत पत्नी ने एफआईआर और घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 12 के तहत अपनी शिकायत वापस लेने पर सहमति जताई थी। इसके बदले में अपीलकर्ता को फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका पर बिना विरोध के सहमति देनी थी। हालांकि एफआईआर और डीवी केस वापस लेने के बाद अपीलकर्ता ने फैमिली कोर्ट में तलाक की कार्रवाई का विरोध करना जारी रखा और अपनी पत्नी को लगभग 2 साल तक कानूनी लड़ाई में उलझाए रखा। सुनवाई के दौरान अपीलकर्ता ने उच्च न्यायालय में अपने पिता की ओर से दायर किए गए समझौते और बयानों में अनभिज्ञता व्यक्त की, जिस पर अदालत ने उसके बयान की विश्वसनीयता पर संदेह जताया। अपीलकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि निचली अदालत के फैसले से सहमत है, लेकिन तलाक का आधार मानसिक क्रूरता नहीं बल्कि परित्याग (डिजरशन) है, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार नहीं किया।

सन्दर्भ स्रोत : अमर उजाला

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



दिल्ली हाईकोर्ट : पिछली शादी और आय
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : पिछली शादी और आय , छिपाना धोखाधड़ी, विवाह रद्द करने का आधार

आय को लेकर अदालत ने कहा कि शादी के लिए सही जानकारी देना जरूरी है। पत्नी, जो कि उच्च शिक्षित और आत्मनिर्भर थी, को सही तथ्...

महिला होने पर नहीं मिली थी नियुक्ति, अब दिल्ली
अदालती फैसले

महिला होने पर नहीं मिली थी नियुक्ति, अब दिल्ली , हाईकोर्ट के आदेश पर वायुसेना में बनी पायलट

गुरुग्राम की अर्चना का पायलट बनने का सपना अब पूरा होगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने लिंग के आधार पर भेदभाव के मामले में उन्हें ब...

इलाहाबाद हाई कोर्ट  : विवाहित पुत्री भी
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाई कोर्ट  : विवाहित पुत्री भी , अनुकंपा नियुक्ति की हकदार

कोर्ट ने देवरिया के शिक्षा अधिकारी को चंदा देवी के दावे पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया है जिनका आवेदन विवाहित होने के क...

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट : मां की मौत के बाद तलाकशुदा बेटी को मिलेगी पेंशन
अदालती फैसले

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट : मां की मौत के बाद तलाकशुदा बेटी को मिलेगी पेंशन

नियम के अनुसार, पूर्व सैनिक की अविवाहित या तलाकशुदा आश्रित बेटी को माता-पिता की मृत्यु के बाद पारिवारिक पेंशन का हकदार म...

दिल्ली हाईकोर्ट  : बच्चों को भी पिता जैसा
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट  : बच्चों को भी पिता जैसा , सुख-सुविधा वाला जीवन जीने का अधिकार

हाईकोर्ट की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि बच्चों की जरूरतें ही पूरी होना काफी नहीं, उन्हें पिता की हैसियत के मुताबिक सुव...