महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनी

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महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनी
नेत्र दिव्यांग तान्या ने सुरों से बनायी पहचान

भोपाल। “पूत के पाँव पालने में दिखाई देते हैं”, इस कहावत को भोपाल की तान्या ने साबित कर दिखाया है। नेत्र दिव्यांग होने के बावजूद तान्या ने शिक्षा हो या संगीत संही जगह अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। बुलंद हौसले, अथक परिश्रम और अभ्यास के बल पर अपनी सुमधुर आवाज से अनेकों कला प्रेमियों को अपना मुरीद बना लिया है।

जन्म से दृष्टिबाधित तान्या छोटी उम्र में गुनगुनाती थी, तब मां को लगा कि यह गायन के क्षेत्र में कुछ अच्छा कर सकती है। उन्होंने संगीत सीखने भेजा। शुरुआत में लोग उसे बेचारी की नजर से देखते, लेकिन उसने हार नहीं मानी और सीमित संसाधनों से सीखते हुए आगे बढ़ती गई। 

पढ़ाई में भी रही अव्वल

गायन व वादन में असाधारण प्रतिभा की धनी तान्या ने पढ़ाई में भी अपना सर्वोत्तम दिया है। आठवीं की परीक्षा में 94 % अंक तथा 12वीं 96.2% अंकों के साथ उत्तीर्ण की है। इसी साल जनवरी में यूजीसी नेट में जूनियर रिसर्च फेलोशिप के लिए भी क्वालिफाई किया है। सन् 2014 -15 में प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से गायन में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुई। कलकत्ता की हिन्दुस्तानी आर्ट एन्ड म्यूजिक सोसायटी से हारमोनियम में सन् 2015 -16 में सीनियर डिप्लोमा भी प्रथम श्रेणी में प्राप्त किया। चंडीगढ़ के प्राचीन कला केन्द्र से सन् 2014 -15 से भाव संगीत में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है।  तान्या एमए फाइनल ईयर की छात्रा हैं। वह संगीत और इंग्लिश लिटरेचर से एमए कर रही हैं।

बता दें कि तान्या की आँखों में समस्या होने से वह सामान्य रोशनी में न तो पढ़ सकती है न ही बिना सहारे के चल सकती है। उसे पढ़ाई के वक्त और अधिक रोशनी  की जरुरत  होती है और परीक्षा में भी यही व्यवस्था करना पड़ती है।

संगीत ने दिलाई पहचान

पढ़ाई के साथ ही तान्या ने संगीत को निखारने पर ध्यान दिया। उन्होंने एनएस उइके, विजय सप्रे, पूर्वी सप्रे, डॉ, दिव्यता गर्ग से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली। शुरुआत में तानपुरे पर स्वर कैसे लगाते हैं, समझ नहीं आता था। वर्तमान में सुदेशना बासु से संगीत सीख रही तान्या को कॉलेज डॉ. नीना श्रीवास्तव, डॉ, सुधा दीक्षित डॉ. पूनम खरे और डॉ. लोकेन्द्र का मार्दर्शन प्राप्त हो रहा है।

हमें भी समझा जाए

तान्या कहती हैं कि सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि लोग हमें समाज से अलग मानते हैं। हमारी शारीरिक अक्षमता को देखकर कई लोग सोचते हैं कि हम मानसिक तौर पर भी स्वस्थ नहीं होंगे। मेरा कहना है कि हम भी इसी समाज का हिस्सा है और हमें बेचारगी की नजर से मत देखिए। हमें स्वीकारकरें और आगे बढ़ने के समान मौके हमें भी मिलें, यह जरूरी है।

तान्या बताती हैं “दिव्यांगता के चलते मुझे कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ा। सामान्य स्कूल में दाखिला आसानी से नहीं मिला। जैसे-तैसे प्रवेश मिला भी तो स्कूल में भेदभाव का सामना करना पड़ा, स्कूल में बच्चे बात करने से कतराते, इसके चलते स्कूल में गिने चुने दोस्त ही थे। बहुत अकेलापन लगता था। लोग कई तरह की बातें करते थे।"

अब तक दे चुकीं कई प्रस्तुतियां

2021 में महिला दिवस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा राष्ट्रीय अवार्ड से नवाजी गईं तान्या अब तक भारत भवन, शहीद भवन सहित कई प्रतिष्ठित मंचों पर प्रस्तुतियां दे चुकी हैं। कई पुरस्कार भी जीते हैं। वॉलेंटियर्स फॉर द ब्लाइंड की ओर से भारत भवन में आयोजित 'अंधेरे से उजाले की ओर-एक शाम उम्मीद के नाम' में गायन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया। कराओके वर्ल्ड चैंपियनशिप इंडिया 2024 प्रतियोगिता में फर्स्ट रनरअप रहीं। आकाशवाणी की भजन और गीत की ‘बी’ ग्रेड की कलाकार हैं। बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी में युवा उत्सव 2024-25 में संभाग स्तर पर एकल शास्त्रीय गायन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर फरवरी में स्टेट लेवल पर इंदौर में प्रतियोगिता में तृतीय स्थान प्राप्त किया।

सन्दर्भ स्रोत : पत्रिका

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