पहली बार भोपाल में ड्रोन उड़ाएंगी 102 दीदियां,

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पहली बार भोपाल में ड्रोन उड़ाएंगी 102 दीदियां,
महिला दिवस पर होगा आयोजन

भोपाल। रिकार्ड बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) पर नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पल्स रिसर्च सेंटर, फंदा में 102 प्रशिक्षित ड्रोन दीदियां पहली बार एक साथ ड्रोन उड़ाएंगी। इनमें से 89 मध्य प्रदेश से और बाकी महाराष्ट्र से हैं। कृषि कार्य में लगी युवा महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 'नमो ड्रोन दीदी' योजना शुरू की गई है। इसमें मप्र ग्रामीण विकास विभाग के अजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि वे इसका उपयोग कृषि कार्य में कर सकें। नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड इस कार्य के लिए नोडल एजेंसी है। महिलाओं को डीजीसीए द्वारा मान्यता प्राप्त एजेंसियों द्वारा रिमोट पायलट प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।

 खुशी है लोग ड्रोन दीदी के नाम से जानेंगे : सुरभि शर्मा

34 वर्षीय सुरभि शर्मा सीहोर जिले के दुपाद्र्या भील गांव में रहती हैं। उन्होंने इसी साल जनवरी में माधवराव सिंधिया ड्रोन स्कूल, ग्वालियर से 15 दिन की ट्रेनिंग ली थी। उन्होंने बताया कि यह एक अच्छा अनुभव था। पहले मैं घबराहट महसूस कर रही थी लेकिन प्रशिक्षकों ने हमें इतने अच्छे से सिखाया कि मेरा डर गायब हो गया। उन्होंने कहा कि उम्मीद से बढ़कर सीखा। वह एक किसान परिवार से हैं लेकिन शादी के बाद काम करना काफी मुश्किल था, क्योंकि उन्हें घर पर घूंघट में रहना पड़ता था। वह अब बहुत खुश हैं कि लोग उन्हें ड्रोन पायलट या ड्रोन दीदी के नाम से जानेंगे। ड्रोन किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। इससे पानी और समय की बचत होगी। हम ड्रोन की मदद से एक एकड़ जमीन पर सात मिनट में फसलों पर उर्वरक का छिड़काव कर सकते हैं।

• पूरे परिवार में है ड्रोन मिलने का उत्साह

जबलपुर की 36 वर्षीय सपना काछी कृषि सखी हैं। वह लंबे समय से मप्र आजीविका मिशन से जुड़ी हैं। उन्होंने इस साल जनवरी में इंदौर में नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) से पांच दिवसीय प्रशिक्षण लिया। उन्होंने बताया कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मुझे इस काम के लिए चुना गया। मैंने अपने जीवन में कभी ड्रोन नहीं देखा और इसे उड़ाना कल्पना से बाहर था। हमें सिखाया गया कि ड्रोन कैसे चलाया जाता है और उसका उपयोग कैसे किया जाता है। वह कहती हैं कि न सिर्फ वह बल्कि उनके परिवार वाले भी काफी उत्साहित हैं कि उन्हें ड्रोन मिलेगा। उनके पास चार एकड़ जमीन है और अब वह अपनी जमीन पर खेती में ड्रोन का इस्तेमाल करने की योजना बना रही हैं।

• आधुनिक खेती से जुड़ने का इरादा : मेघा पाटीदार

28 वर्षीय मेघा पाटीदार आगर-मालवा जिले के हिरणखेड़ी गांव की रहने वाली हैं। इसी साल जनवरी में उन्हें ग्वालियर से 15 दिन की ट्रेनिंग मिली। वह कहती हैं कि उन्होंने कभी साइकिल नहीं चलाई, ड्रोन तो दूर की बात है। यह काफी अच्छा अनुभव था। इसके लिए मुझे दो दिन की ट्रेनिंग के बाद लिखित परीक्षा पास करनी पड़ी। उसके बाद पहले मुझे कंप्यूटर पर ड्रोन उड़ाने के बारे में बताया गया, फिर जमीन पर। उन्होंने कहा कि शुरुआत में मैं बहुत घबराई हुई और डरी हुई थी। वह एक किसान परिवार से हैं और उनके पास 10 एकड़ जमीन है। इसलिए ड्रोन का प्रशिक्षण लिया है और इसका उपयोग कर अपनी जमीन पर आधुनिक खेती करेंगी।

•  प्रशिक्षण के दौरान बहुत कुछ सीखने को मिला : मनीषा प्राजपति

भोपाल के मुगलिया छाप निवासी मनीषा प्राजपति 30 साल की हैं।उनके पास दो एकड़ जमीन है। उन्होंने डेढ़ महीने पूर्व इंदौर के प्रेस्टीज इंस्टीटूयूट आफ इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट एंड रिसर्च से ड्रोन चलाने का पांच दिन का प्रशिक्षण लिया है। उन्हें एनआरएलएम के माध्यम से इस योजना के बारे में जानकारी मिली थी। मनीषा ने बताया कि खेतों में दवा का छिड़काव करने में दिक्कत जाती थी। ड्रोन के माध्यम से छिड़काव करने में समय और धन की बचत होगी। प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने जाना कि मिलेट्री एरिया और एयरपोर्ट जैसे रेड जोन में ड्रोन उड़ाने की मनाही है और 18 से 65 साल की आयु वाले ही ड्रोन उड़ा सकते हैं। मनीषा ने बताया कि मैं ट्रेनिंग के लिए अपने घर से पहली बार निकली थी, लेकिन मेरे पति और एनआरएलएम की मैडल ने मेरा हौसला बढ़ाया। आगे मेरी योजना है कि ड्रोन से सिंचाई कर खेती को लाभ का धंधा बनाऊं। जानकारी मिली है कि हमें ड्रोन भी सरकार देंगी।

संदर्भ स्रोत : नव  दुनिया

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