अश्विनी की पेंटिंग्स ने लंदन-सिडनी तक बनाई पहचान

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अश्विनी की पेंटिंग्स ने लंदन-सिडनी तक बनाई पहचान

रंगों और ब्रश से दोस्ती अश्विनी को बचपन से ही थी। पढ़ाई की किताबों से ज़्यादा उन्हें कैनवास और रंगों ने आकर्षित किया। औरंगाबाद (अब छत्रपती संभाजीनगर) की गलियों से शुरू हुआ यह रचनात्मक सफर, भोपाल में आकार लेने लगा। आज अश्विनी विधाते न केवल भारत भवन की प्रमुख कलाकारों में शामिल हैं, बल्कि उनकी कला लंदन से लेकर सिडनी तक देश-विदेश में सराही जा रही है। 

भारत भवन बनी कर्मभूमि 

पेंटिंग में गहरी रुचि देखकर अश्विनी के पिता ने उन्हें गवर्नमेंट स्कूल ऑफ फाइन आर्ट, औरंगाबाद (जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स, मुंबई की शाखा) में दाखिल कराया। यहीं से उन्होंने बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स किया और पेंटिंग को ही अपना जीवन बना लिया। पढ़ाई के दौरान भारत भवन के बारे में जानकारी मिली और 2006 में उन्होंने भोपाल का रुख किया। यहां पहुंचते ही कला की दुनिया में नई पहचान मिलने लगी। देश-दुनिया के कलाकारों से जुड़ाव ने उनके नजरिए और स्टाइल को नया आयाम दिया। एमएफ हुसैन और पिकासो जैसे दिग्गजों की कला ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया।

कलात्मक प्रयोग और रंगों से आत्मिक जुड़ाव

अश्विनी की शुरुआती पेंटिंग्स हुसैन की शैली से प्रेरित रहीं, जिसे लोगों ने खूब सराहा। इसके बाद उन्होंने मिक्स मीडिया, प्लाईवुड और पर्यावरण से जुड़े विषयों पर काम किया। नए मीडियम में प्रयोग करना उन्हें बेहद पसंद है। उनकी कला में लाल और चमकीले रंगों की प्रमुखता रहती है जो ऊर्जा, जुनून और भावनात्मक गहराई को दर्शाते हैं।अश्विनी के लिए पेंटिंग केवल अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि साधना है। वे मानती हैं कि यह उनके लिए आत्मिक शांति और ऊर्जा देने वाला माध्यम है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान

अश्विनी ने भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी कई प्रदर्शनियों में भाग लेकर अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने देश और विदेश की कई प्रदर्शनियों में भाग लिया। लंदन, सिडनी समेत कई बड़े कला मंचों पर उनकी पेंटिंग्स प्रदर्शित हो चुकी हैं। वे आज भोपाल की कला-परंपरा का एक अहम नाम बन चुकी हैं।

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