छाया: इंडियन एक्सप्रेस
कहते हैं पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं, यह कहावत श्रेयांशी परदेशी पर पूरी तरह सटीक बैठती है। महज चार वर्ष की उम्र में ही उनके पिता ने उनके हुनर को पहचानकर दिशा देना शुरू किया, नतीजा बेटी आज बैडमिंटन खिलाड़ी बनकर अपने पिता का ही नहीं, मध्यप्रदेश का नाम भी रोशन कर रही हैं। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विक्रम अवॉर्ड से सम्मानित महू की बैडमिंटन प्लेयर श्रेयांशी परदेशी की...।
पश्चिम मध्य रेल, भोपाल मंडल के मंडल कार्मिक विभाग में अवर लिपिक के पद पर पदस्थ बैडमिंटन खिलाड़ी श्रेयांशी कहती हैं “कई बार हमें किसी चीज का शौक होता है। हमारे माता-पिता जब यह देखते हैं कि हमें इसमें रुचि है, तो वह भी हमारा साथ देते हैं। उस काम में हमें आगे बढ़ाते हैं, उसके लिए वह निरंतर प्रयासरत रहते हैं। उनके सहयोग से हम उस काम में आगे बढ़ पाते हैं।”
वह कहती है कि जब मैं चार या पांच साल की थी, तो हमारे मोहल्ले के बड़े बच्चे बैडमिंटन खेलते थे। उनको देखकर मुझे भी खेलने की इच्छा होती थी। मेरे पापा हमेशा चाहते थे कि मैं खेल में कुछ करूं। जब उन्होंने देखा कि इसे बैडमिंटन में रुचि है, तो उन्होंने घर पर ही मुझे बैडमिंटन सिखाना शुरू कर दिया। वह ऑफिस से जब रात को भी आते तो पहले मुझे बैडमिंटन खिलाते थे और उसके बाद ही डिनर करते थे। जब मैं बैडमिंटन में अच्छा करने लगी, तो पापा को लगा कि मुझे स्टेडियम में जाना चाहिए। वह मुझे स्थानीय कोच के पास लेकर गए, उन्होंने कहा कि अभी बहुत छोटी है, लेकिन पापा ने कहा कि आप इसका टेस्ट लीजिए और देखिए। उन्होंने मुझे खिलाया और मेरा प्रदर्शन अच्छा लगा, तो मुझे सिखाने लगे। मम्मी रोज मुझे महू से इंदौर लेकर जाती थीं। धीरे-धीरे आगे बढ़ती गई। डिस्ट्रिक्ट जीता फिर स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल तक खेला
उपलब्धियां
श्रेयांशी का 2011 में हैदराबाद की गोपीचंद अकादमी में चयन हुआ। वह 2020 तक वहां रहीं। श्रेयांशी अंडर 17 और 19 कैटेगरी में देश की नंबर एक रैंक की खिलाड़ी रह चुकी हैं। वह 2018 और 2019 में वुमन सिंगल कैटेगरी में भी देश में नंबर एक रैंक की खिलाड़ी रही हैं। उनकी वर्ल्ड रैंक 139 भी रह चुकी है। वह 2018 और 2019 में मुंबई रॉकेट टीम में पहली महिला सिंगल प्लेयर रही हैं। श्रेयांशी ने बताया कि 9 साल की उम्र में उन्होंने अंडर 10 का पहला नेशनल जीता था। नेशनल गेम्स में वुमन सिंगल कैटगरी में ब्रॉन्ज मेडल भी जीता। अंडर-15 कैटेगरी में दो बार नेशनल चैंपियन रह चुकी हैं। अंडर-17 गर्ल्स कैटेगरी में भी नेशनल चैंपियन रह चुकी हैं। 2019 में हुई साउथ एशियन गेम्स में महिला टीम चैपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। वह लगभग 25 नेशनल खेलीं और कई जीतीं भी।। वे अब इसी माह होने वाली राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भारतीय रेलवे का प्रतिनिधित्व करने वाली हैं।
संदर्भ स्रोत : पत्रिका
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