छाया : दैनिक भास्कर
• रितिका, रामकन्या,रुक्मिणी और आस्था दांगी बटोर रहीं पदक
भोपाल। झीलों की नगरी भोपाल में पानी के खेल में नित नये-नये कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं। इस खेल के प्रति खिलाड़ियों की दीवानगी और जुनून ही है कि भोपाल और प्रदेश के पुरुषों के अलावा महिला खिलाड़ियों का जलवा देखने को भी मिलता रहा है। अगर कहें कि इस खेल के प्रति रुचि जागृत करने और उन्नति में शहर और प्रदेश की महिलाओं का भी विशेष योगदान रहा है, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। छोटी झील और बड़ा तालाब में प्रशिक्षण लेकर पैरालंपिक तक अपना दमखम दिखा चुकीं कई महिलाओं ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदकों की झड़ी लगा दी है। ऐसी ही होनहार खिलाड़ियों में शामिल हैं दांगी परिवार की चार बहनें, जिन्होंने इस खेल में अपना लोहा मनवाया है। इन चारों बहनों रामकन्या (कयाकिंग), रुक्मिणी (रोइंग), रितिका (सेलिंग) में और आस्था दांगी ने (कयाकिंग एंड कैनोइंग) की चौकड़ी ने प्रतिधित्व करते हुए कई पदक अपने नाम किये हैं।
एशियन गेम्स की तैयारी कर रही रितिका
मप्र सेलिंग अकादमी की खिलाड़ी रहीं 18 साल की रितिका पिछले दस वर्ष की उम्र से खेल रही हैं। वह अब नेवी में चीफ आफिसर के पद के रूप में सेवाएं देंगी और नेवी की टीम से खेलेंगी। एकलव्य पुरस्कार हासिल कर चुकी रितिका इल्का सिक्स स्पर्धा में हिस्सा लेती हैं। वह मुंबई में रहकर एशियन गेम्स की तैयारी कर रही हैं। अबू धाबी एशियन सेलिंग चैम्पियनशिप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का तीसरा स्वर्ण पदक जीता था। रितिका नरसिंहगढ़ के छोटे से गांव ताजपुरा की रहने वाली हैं। पिता जगदीश दांगी किसान हैं। इस गांव ने चार-से पांच अंतर्राष्ट्रीय वॉटर स्पोर्ट्स खिलाड़ी दिए हैं। रितिका ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीन स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य पदक जीते हैं। रितिका के पिता ने बेटी और भतीजी रामकन्या व रुक्मिणी को मप्र अकादमी की ट्रायल दिलाया था।
ओलंपिक क्वालीफायर की तैयारी में जुटी रुक्मिणी
रोइंग की खिलाड़ी रुक्मिणी दांगी ने सात राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। इस दौरान दर्जनों पदक जीते। उन्हें 2018 में विक्रम पुरस्कार मिला है। अभी वह एसएसबी में पैरा मिलेट्री फोर्स में कार्यरत हैं। हाल ही में चाइना एशियन गेम्स में भारतीय टीम का हिस्सा रहीं। अभी तक वह बड़ा तालाब में ओलंपिक क्वालीफायर की तैयारी में जुटी हैं। वह बताती हैं कि हम बहनों के खेल में आने के बाद गांव के अन्य परिवार के लोग भी बेटियों को खेल में करियर बनाने प्रेरित कर रहे हैं। पिता कन्हैया लाल दांगी किसान हैं। परिवार में मां, भाई और छोटी बहन हैं। रुक्मिणी वर्ष 2016 से इस खेल में आई थी। पहली बार बड़ा तालाब में पानी में उतरी तो डर लग रहा था, तैराकी तो आती थी, लेकिन पानी देखकर घबरा गई थी। बड़ा तालाब में प्रतिदिन सात घंटे अभ्यास करती हैं।
12 स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुकी हैं आस्था
आस्था दांगी की दादी ने इस खेल के लिए उनका हौसला बढ़ाया। उनकी दादी ने ही आस्था को इस खेल से जोड़ा था। दादी का सपना पूरा करने आस्था ने भी कोई कसार नहीं छोड़ी और अपनी मेहनत और जुनून के दम पर कयाकिंग खेल में अपनी चमक बिखेरने में कामयाब रही। नरसिंहगढ़ तहसील के पिपलियाबाग गांव की रहने वाली आस्था भोपाल में छह वर्ष की उम्र से अभ्यास कर रही हैं। उन्होंने आठ राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 12 स्वर्ण, दो रजत पदक जीते हैं। उज्बेकिस्तान में हुए एशियन चैम्पियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व किया। मप्र सरकार द्वारा आस्था को खेल अलंकरण में एकलव्य पुरस्कार से नवाजा गया है।
मप्र पुलिस टीम का प्रतिनिधित्व करती हैं रामकन्या
रामकन्या पिछले एशियाड में भारतीय ड्रैगन बोट टीम का हिस्सा थीं। वे राष्ट्रीय स्तर की स्वर्ण पदक विजेता हैं। मप्र पुलिस टीम का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह इसी खेल के माध्यम से आईटीबीपी में जॉब में हैं। वह बताती हैं कि जब हम लोगों ने खेल की शुरुआत की थी तो कई लोग परिवारवालों को ताना मारते थे, क्योंकि हमारे गांव में बहुत कम लड़कियां ही बाहर जाती थीं, लेकिन अब उनकी सोच में बदलाव हुआ है। खेल और शिक्षा में भी वो बेटियों को बेटों से कम नहीं समझ रहे हैं।
सन्दर्भ स्रोत: नव दुनिया
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *