जन्म: 21 अगस्त 1982, स्थान: तिरुवल्ला (केरल).
माता: जया मणी, पिता: के. एस. मणी.
जीवन साथी: श्री विशाल हतवलने. संतान: पुत्री-01.
शिक्षा: एम.ए. (भरतनाट्यम), एम.ए. (अर्थशास्त्र), एम. कॉम, पीजीडीसीए, पीजी डिप्लोमा (ह्यूमन राइट्स), पीएचडी (pursuing), नृत्य विशारद, नृत्य प्रभाकर.
व्यवसाय: भरतनाट्यम नृत्यांगना एवं सहसंस्थापक निदेशक प्रतिभालय आर्ट्स अकादमी.
करियर यात्रा: कला से प्रेम करने वाले परिवार में जन्मी मंजुमणि हतवलने बाल्यकाल से ही नृत्य के प्रति समर्पित रहीं. 7 वर्ष की अल्प आयु से ही अपने गुरु श्री पी.एस.ए.मनु (शिष्य ड़ाँ. चित्रा विश्वेशरन) से नृत्य की शिक्षा प्रारंभ की. विगत 15 वर्षो से प्रतिभालय आर्ट्स अकादमी नाम से शास्त्रीय कलाओं क़ो समर्पित संस्था की निदेशक एवं मुख्य गुरु हैं, साथ ही भ़ोपाल के कई प्रतिष्ठित संस्थानों में नृत्य निर्देशित कर चुकी हैं. अपने एकल व समूह नृत्य प्रस्तुतियां कई राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर दे चुकी हैं। उल्लेखनीय रूप से दशावतारम, स्त्री शक्ति पर आधारित नृत्यनाटिका महिषासुर मर्दिनी, कुमारसंभवम, पर्यावरण संरक्षण पर आधारित नृत्यनाटिका वसुंधरा, कृष्णप्रिया तुलसी, जनजातीय संगीत पर भरतनाट्यम में कृष्ण लीला एवं जनजातीय संगीत पर राम कथा जैसी नृत्य नाटिकाओं का निर्देशन एवं मंचन.
उपलब्धियां/पुरस्कार: 15 वर्ष की आयु में भारत की 50वीं स्वतंत्रता वर्षगाँठ पर राष्ट्रीय बाल उत्सव (नई दिल्ली) में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए भरतनाट्यम में प्रथम स्थान प्राप्त किया. ग्वालियर में राज्य युवा उत्सव में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व कर द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया एवं संपूर्ण वेस्ट ज़ोन का प्रतिनिधित्व, महाराष्ट्र में आय़ोजित ज़ोनल युवा उत्सव में भी मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व किया. कला जगत में योगदान के लिए मध्यप्रदेश हिन्दी सेवी सम्मान, नाट्यश्री कला सम्मान, दीक्षाश्री, कला सौरभ, कला ज्योति सम्मान, युवा कला रत्न, नाट्य रानी, युवा पुरस्कार, श्रमश्री सम्मान, सम्मान मंजुशा, मध्यप्रदेश हिन्दी सेवी सम्मान, देश विदेश की प्रतिष्ठित कला संस्थाओं द्वारा सम्मानित.
विदेश यात्रा: नेपाल, रूस. रुचियां: संगीत, साहित्य एवं चित्रकला.
अन्य जानकारी: भाषा विभिन्न संस्कृतियों क़ो ज़ोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य करती है, इसी सोच के साथ वर्तमान में अपनी कला अकादमी में 200 से अधिक हिन्दी भाषी छात्र छात्राओं क़ो भरतनाट्यम नृत्य की शिक्षा दे रही हैं और विगत 18 वर्षों में हजारों हिन्दी भाषी छात्र छात्राओं क़ो भरतनाट्यम नृत्य की शिक्षा दे चुकीं हैं। भरतनाट्यम नृत्य में मुख्य रूप से तमिल भाषा का प्रय़ोग किया जाता है, जिसे समझ पाना हिन्दी भाषियों के लिए बहुत कठिन हो जाता है, इस बात क़ो ध्यान में रखते हुए उन्होंने कई भरतनाट्यम आधारित नृत्य नाटिकाओं का निर्देशन हिन्दी में किया है.