जन्म दिनांक : 18 अगस्त, जन्म स्थान : उदयपुर
माता : श्रीमती कौशल्या शर्मा, पिता : श्री कैलाश चंद्र शर्मा
जीवन साथी : श्री प्रदीप जैन, संतान : पुत्री – 01
शिक्षा : स्नातक
व्यवसाय : सामाजिक कार्यकर्ता/संस्थापक- अनामिका जनकल्याण सेवा समिति
करियर यात्रा-जीवन यात्रा : अनामिका ने अपने पिता के साथ समाज सेवा का काम शुरू किया. इस कार्य से जुड़ने के लिए उन्होंने मास्टर ऑफ सोशल वर्क (msw) किया. वे 17-18 वर्षों से लगातार सामाजिक क्षेत्र में महिलाओं के हित में काम कर रही हैं. आश्रय गृह स्थापित करने से पहले उन्होंने 7 साल लगातार निराश्रित और विक्षिप्त महिलाओं की देखभाल की और उन्हें इंदौर एवं उज्जैन के अनाथालय भेजा। लेकिन कभी-कभी जगह न होने के कारण अनाथालय उन महिलाओं को आश्रय देने से मना कर देता था. चूंकि ऐसी महिलाओं को आसरा देना बहुत ज़रूरी था, इस हेतु उन्होंने 2018 में ‘अनामिका जनकल्याण सेवा समिति विक्षिप्त आश्रय गृह’ की स्थापना की. यहाँ उन्हें आश्रय, चिकित्सा एवं पुनर्वास प्रदान किया जाता है. अब तक 42 ऐसी महिलाओं का पुनर्वास किया जा चुका है. वर्तमान में आश्रय गृह में 25 महिलाएं निवासरत हैं. पुलिस विभाग द्वारा लाई गई महिलाओं को भी उनकी संस्था रखती है, उनके स्वस्थ हो जाने पर गूगल के जरिये उनके परिवार को ढूंढ कर उनका पुनर्वास भी काम करवाती हैं.
उपलब्धियां/पुरस्कार
• मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा मंदसौर गौरव रत्न पुरस्कार (2023)
• महिला दिवस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा रानी अवंति बाई राज्य स्तरीय वीरता पुरस्कार (2024)
रुचियां : बैडमिंटन, नृत्य, सामाजिक कार्य
अन्य जानकारी : कई बेसहारा महिलाओं को आश्रय प्रदान किया है. अब तक कई विक्षिप्त महिलाओं को स्वस्थ कराते हुए उनके परिवारजनों को सौंप दिया है. कई ऐसी महिलाएं हैं, जिनका पुनर्वास करते हुए उन्हें नारी गृह में भेजा गया है.
अनामिका ने विक्षिप्त आश्रय गृह की स्थापना के अलावा शराब छुड़वाना, कुष्ठ बस्ती में स्कूल का संचालन, गांव संजीत में साढ़े 3 सौ महिलाओं को सिलाई, ब्यूटी पार्लर, मेहंदी का निशुल्क प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने जैसे काम भी किये.
भविष्य में वे एक बड़ा पुनर्वास केंद्र स्थापित करना चाहती है, जहाँ महिलाओं को न सिर्फ चिकित्सा और आश्रय मिले, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हों. इसके साथ ही जागरूकता अभियानों के माध्यम से समाज की सोच बदलना चाहती हैं ताकि इन महिलाओं को अपमान या उपेक्षा की जगह सम्मान और अपनापन मिले.