जन्म: 9 मई. स्थान; अशोकनगर, मप्र
माता: श्रीमती सरोज सक्सेना. पिता: स्व. श्री के.एल. सक्सेना.
जीवन साथी: श्री सुनील मिश्र. संतान: पुत्री -02.
शिक्षा: एम.ए. (राजनीति विज्ञान), बी.एड., संगीत प्रभाकर (कथक नृत्य व गायन).
व्यवसाय: संस्थापक निदेशक –‘गुरुकृपा संगीत एवं नृत्य कला अकादमी’ भोपाल/ शिक्षिका, समाज सेविका एवं कलाकार.
करियर यात्रा: विगत 9 वर्षों से अभ्यासरत. वर्ष 2011 में ‘गुरुकृपा संगीत एवं नृत्य कला अकादमी’ की स्थापना के साथ ही शास्त्रीय संगीत की शिक्षा, मंचीय प्रस्तुतियां और संगीत के प्रचार-प्रसार में संलग्न. वर्ष 2017 में स्वयंसेवी संस्था वर्तिका की स्थापना. वर्ष 2003 से शहीद हेमू कालानी एजुकेशनल सोसायटी में निरंतर शिक्षिका के पद पर कार्यरत.
उपलब्धियां/पुरस्कार
• गीतांजलि कन्या महाविद्यालय से स्वयंसेवक रहते हुए (महाविद्यालय स्तर पर डॉ. शंकरदयाल शर्मा द्वारा) तीन स्वर्ण पदक प्राप्त
• सर्वश्रेष्ठ छात्रा, महाविद्यालय, बीए (कला संकाय) में सर्वाधिक अंक अर्जित करने हेतु सम्मानित
• इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एनएएस समाज सेवा पुरस्कार
• सर्वश्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता पुरस्कार
• भोपाल रत्न पुरस्कार 2019 व 2021 से सम्मानित
• निर्दलीय समाचार समूह द्वारा सामाजिक गतिविधियों हेतु लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड सहित राष्ट्रीय स्तर पर नृत्य व वाद विवाद के अनेक पुरस्कार प्राप्त.
प्रस्तुतियां-
• नृत्य नाटिका- नमामि देवि नर्मदे, संस्कार भारती कला साधक संगम (कुरुक्षेत्र, हरियाणा)
• समूह कथक नृत्य- राष्ट्रीय शिविर (वर्धा, महाराष्ट्र)
• कथक नृत्य -मध्यप्रदेश शासन द्वारा ‘बेटी बचाओ’ विषय पर आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम
• म.प्र. शासन के ‘रेरा’ विभाग के नवनिर्मित भवन के लोकार्पण में सांस्कृतिक प्रस्तुति व संचालन.
रुचियां: संगीत, साहित्य.
विधा- नृत्य/कथक व गायन.
अन्य जानकारी: अध्यक्ष-वर्तिका सोशल एंड कल्चरल वेलफेयर सोसायटी. गुरु- ठा. हरिश्चन्द्र सिंह जी के सानिध्य में संगीत प्रभाकर की शिक्षा प्राप्त की. पूर्व में आभा अग्रवाल जी, से तथा वर्तमान में डॉ. मयूरा पंडित खटावकर के मार्गदर्शन में अभ्यासरत. कुंभ क्षेत्र, प्रयागराज में संस्कार भारती, भोपाल का प्रतिनिधित्व, ठा. हरिश्चन्द्र सिंह जी से मिली प्रेरणा से स्वयं की अकादमी में भोपाल की अलग-अलग बस्तियों में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को भारतीय शास्त्रीय गायन व नृत्य का नि:शुल्क प्रशिक्षण कार्य जारी साथ ही ‘अविराम’ नाम से एक पुस्तकालय स्थापित किया जहां बच्चे अपनी रुचि के साथ-साथ पढ़ाई भी कर सकें. बच्चे अकादमी में 3 से 4 घण्टे का समय व्यतीत करते हैं, जिससे उनमें विभिन्न कला कौशलों का विकास हो रहा है. महिला स्वास्थ्य व सशक्तिकरण के लिए कार्य में संलग्न.