बिशना चौहान

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बिशना

बिशना चौहान

bishna.chouhan@gmail.com

2024-02-01 09:34:09

जन्म दिनांक : 16 जनवरी

 

जन्म स्थान: नीमच. 

 

माता: श्रीमती श्यामा चौहान, पिता: स्व. श्री धनसिंह चौहान. 

 

शिक्षा: एम.ए. हिन्दी साहित्य तथा वर्तमान में एम.ए. (नाट्य शास्त्र) अध्यनरत. 

 

व्यवसाय: स्वतंत्र रंगकर्मी, नाट्य निर्देशक, नाट्य लेखन तथा सचिव ‘सागर गुंचा नटरंग’ कल्चरल एवं वेलफेयर सोसाइटी भोपाल.

 

करियर यात्रा: बिशना जी की रंगयात्रा बी.ए. प्रथम वर्ष दौरान ही शुरू हो गई थी. बी.ए. द्वितीय वर्ष में आते-आते सांग एंड ड्रामा विभाग में अस्थाई कलाकार के रूप में चयन हुआ. जहाँ उन्होंने दो वर्षो तक कार्य किया. वर्ष 1992 से सागर में नाट्य संस्था “अन्वेषण” के साथ अभिनय की विधिवत यात्रा आरम्भ हुई. 1996 में भोपाल भारत भवन के रंगमंडल में अंतिम बैच में अस्थाई कलाकार के रूप में कार्य किया. गुरु ‘अलखनंदन’ का सानिध्य मिलने के बाद 1998 में उनकी नाट्य संस्था ‘’नट बुंदेले’  से जुड़ीं. यहाँ बतौर अभिनेत्री वर्ष 2000 से 2012 तक कार्य किया. इस दौरान उनकी पढ़ाई भी जारी रही. उन्होंने हिन्दी नाटकों का बुंदेली अनुवाद करने के अलावा मुंशी प्रेमचन्द, रविन्द्र नाथ टैगोर, सर हैंस एंडरसन तथा पंडित विष्णु शर्मा कृति पंचतंत्र की कहानियों का नाट्य रूपांतरण भी किया. कई मौलिक नाटक (मारासिम, भजिए वाली बुआ, औरते आफ़्टर द रेप, हिन्द ए भगत, शारदा “पापा मुझे मत मारो”, एकल नाटक लाईफ ऑन फ़ोन, नज़ीर नामा) पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित. कला पत्रिका ‘‘कला वसुधा’’ में नाटक ‘‘नजीरनामा’’ प्रकाशित. कोरोना से ग्रसित होने के बाद अस्पताल के अपने अनुभव पर आधारित एकल नाटक “एक खिड़की एक पलंग और सात दिन” का लेखन किया. बाल नाटक “नन्हा गोपी और दो परियां” “सच्ची दोस्ती”, “जोयका एक परी”, “जुमझुम और जंगल”, “बापू”, “छोटा जानवर बड़ी बीमारी”, “बा संग बापू”, “सैंटा क्लॉज” आदि का लेखन. वर्तमान में स्वतंत्र रूप से रंगकर्मी तथा निदान सेवा समिति (विशेष बच्चों का सेंटर) में बाल रंग विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत.

 

उपलब्धियां/सम्मान 

• भारत सरकार, संस्कृति मंत्रालय द्वारा  लोकनृत्य ‘‘बधाई’’ के लिए राष्ट्रीय स्कॉलरशिप (1999-2000) प्राप्त

• भारत सरकार, संस्कृति मंत्रालय द्वारा  रंगकर्म के लिए  राष्ट्रीय जूनियर फेलोशिप (2007-2009) प्राप्त

• नव नृत्य नाट्य संस्था द्वारा ‘स्व. प्रभात गांगुली’ सर्वश्रेष्ठ युवा अभिनेत्री सम्मान (2013)

• यामिनी नाट्य संस्था द्वारा युवा रंगकर्मी सम्मान (2018)

• कोरोना के प्रथम कॉल में स्ला एवं मानव सेवा के क्षेत्र में किये गए कार्यों के लिए ‘कोरोना वारियर्स अवार्ड’ (2020)

• अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ‘चैतन्य सोश्यो कल्चरल सोसायटी’ द्वारा सम्मानित (2020)

 

राष्ट्रीय नाट्य समारोह में भागीदारी

  • भारत भवन रंगमंडल के तहत हबीब तनवीर के निर्देशन में कालीदास समारोह उज्जैन (1996)
  • राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली द्वारा आयोजित भारत रंग महोत्सव (2000/2001/2002/ 2003/2004 और 2006)
  • नांदीकार नाट्य महोत्सव, कोलकाता (2004)
  • सिलीगुड़ी नाट्य मेला (2002. 2008)
  • नाट्य समारोह-भारत भवन, भोपाल  (2008)
  • मैसूर नाट्य समारोह (2007)
  • म.प्र. स्थापना दिवस पर बंबई नाट्य समारोह (2007)
  • आजाद बाल नाट्य समारोह (2011/2015/2017/2019)
  • प्रथम वीरांगना नाट्य समारोह (2021)
  • राष्ट्रीय बाल समारोह (2022) सहित विभिन्न (भोपाल, इलाहाबाद, नागपुर, बैंगलोर, हैदराबाद. पाराद्वीप, राउरकेला, रायपुर, बिलासपुर, उदयपुर, पटना, सोलापुर, इंदौर, उज्जैन आदि) राष्ट्रीय नाट्य समारोहों में भागीदारी.

 

रुचियां: नाट्य लेखन, कविताएं, नज़्म, गज़लें लिखना और सुनना. 

 

अन्य जानकारी: बिशना जी को हबीब तनवीर, ब.व. कारंत, अलखनंदन, संजय उपाध्याय, मुकेश तिवारी, सरोज शर्मा, तारिक दाद, हेमा सिंह जैसे दिग्गज निर्देशकों के साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ. बिशना जी ‘सागर गुंचा नटरंग’  के माध्यम से अभिनय, निर्देशन, नाट्य लेखन, बाल रंगकर्मियों के सतत प्रशिक्षण, उषा गाँगुली जी पर रंग- संवाद और नाट्य समारोह जैसे कार्यों में सतत संलग्न हैं. उनका उद्देश्य बाल नाटकों का लेखन व बाल रंगमंच को विशेष रूप से विस्तार देना है. उन्होंने अनेक बाल नाटकों का लेखन तथा निर्देशन किया है. लॉकडाउन के दौरान उन्होंने बाल नाट्य कार्यशाला के नाम से 50 दिवसीय बाल नाट्य कार्यशालाएं आयोजित की. वे बुंदेली बोली का संरक्षण तथा विस्तार के लिए भी प्रयासरत हैं.