सुप्रीम कोर्ट : दहेज उत्पीड़न मामलों में

blog-img

सुप्रीम कोर्ट : दहेज उत्पीड़न मामलों में
कानून का दुरुपयोग रुकना चाहिए

 

 

 

 

 

 

छाया : यूथ इंडिया न्यूज

नई दिल्ली। अपनी पत्नी और ससुराल वालों द्वारा कथित उत्पीड़न के कारण बेंगलुरू के एक आईटी प्रोफेशनल की खुदकुशी की घटना जहां सुर्खियों में है, वहीं सुप्रीम कोर्ट में एक अलग मामले में महिलाओं द्वारा अपने पतियों के खिलाफ दर्ज कराए गए वैवाहिक विवाद के मामलों में क्रूरता कानून के दुरुपयोग के खिलाफ चेतावनी दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दहेज उत्पीड़न के मामलों में अदालतों को कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए और पति के सगे-संबंधियों को फंसाने की प्रवृत्ति को देखते हुए निर्दोष परिवार के सदस्यों को अनावश्यक परेशानी से बचाना चाहिए। जस्टिस बी.वी.नागरत्ना और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि वैवाहिक विवाद से उत्पन्न आपराधिक मामले में परिवार के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी को इंगित करने वाले विशिष्ट आरोपों के बिना उनके नाम का उल्लेख शुरू में ही रोक दिया जाना चाहिए।

पति के सभी परिजनों को फंसाने की प्रवृत्ति 

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘‘न्यायिक अनुभव से यह सर्वविदित तथ्य है कि वैवाहिक विवाद उत्पन्न होने की स्थिति में अक्सर पति के सभी परिजनों को फंसाने की प्रवृत्ति होती है। ठोस सबूतों या विशिष्ट आरोपों के बिना सामान्य प्रकृति के और व्यापक आरोप आपराधिक अभियोजन का आधार नहीं बन सकते हैं।’’ इसलिए, शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में अदालतों को कानूनी प्रावधानों और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग रोकने एवं परिवार के निर्दोष सदस्यों को अनावश्यक परेशानी से बचाने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।  सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी तेलंगाना हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज करते हुए की, जिसमें एक महिला द्वारा अपने पति, उसके माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ दर्ज दहेज उत्पीड़न के मामले को खारिज करने से इनकार कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि संशोधन के माध्यम से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में धारा 498ए को शामिल किये जाने का उद्देश्य महिला पर उसके पति और उसके परिजनों द्वारा की जाने वाली क्रूरता को रोकना है, ताकि राज्य द्वारा त्वरित हस्तक्षेप सुनिश्चित किया जा सके। 

वैवाहिक विवादों में उल्लेखनीय वृद्धि

बेंच ने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में देश भर में वैवाहिक विवादों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, साथ ही विवाह संस्था के भीतर कलह और तनाव भी बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप, आईपीसी की धारा 498ए (पत्नी के खिलाफ पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता) जैसे प्रावधानों का दुरुपयोग करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, ताकि पत्नी द्वारा पति और उसके परिवार के खिलाफ व्यक्तिगत प्रतिशोध को बढ़ावा दिया जा सके।’’ न्यायालय ने कहा कि वैवाहिक विवादों के दौरान अस्पष्ट और सामान्य आरोपों की यदि जांच नहीं की जाती है, तो कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग होगा और पत्नी एवं उसके परिवार द्वारा दबाव डालने की रणनीति को बढ़ावा मिलेगा। इसने यह भी कहा, "हम एक पल के लिए भी यह नहीं कह रहे हैं कि आईपीसी की धारा 498ए के तहत क्रूरता झेलने वाली किसी भी महिला को चुप रहना चाहिए और शिकायत करने या कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू करने से खुद को रोकना चाहिए।’’ 

पीठ ने कहा कि (उसका सिर्फ यह कहना है कि) इस तरह के मामलों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि धारा 498ए को शामिल करने का उद्देश्य मुख्य रूप से दहेज के रूप में किसी संपत्ति की अवैध मांग के कारण ससुराल में क्रूरता का शिकार होने वाली महिलाओं की सुरक्षा करना है। पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि, कभी-कभी इसका दुरुपयोग किया जाता है, जैसा कि वर्तमान मामले में हुआ।’’ शीर्ष अदालत ने प्राथमिकी खारिज करते हुए कहा कि पत्नी द्वारा पति और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ व्यक्तिगत प्रतिशोध के कारण एवं रंजिश की वजह से शिकायत दर्ज कराई गई थी।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



मप्र हाईकोर्ट  : किसी के भी साथ रहने
अदालती फैसले

मप्र हाईकोर्ट  : किसी के भी साथ रहने , को स्वतंत्र है शादीशुदा महिला

बयान में महिला ने साफ शब्दों में कहा कि वह बालिग है और अपनी मर्जी से याचिकाकर्ता धीरज नायक के साथ रहना चाहती है। महिला न...

दिल्ली हाईकोर्ट : सहमति से तलाक की पहली
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : सहमति से तलाक की पहली , अर्जी के लिए 1 साल का इंतजार अनिवार्य नहीं

पीठ ने कहा कि एचएमए की धारा 13बी के तहत अनिवार्य अवधि को माफ किया जा सकता है, ताकि एक जोड़े को ऐसे शादी के रिश्ते में फं...

बॉम्बे हाईकोर्ट : अस्थायी आधार पर काम करने
अदालती फैसले

बॉम्बे हाईकोर्ट : अस्थायी आधार पर काम करने , वाली महिला मातृत्व अवकाश के लाभों की हकदार

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वह मई 2021 से बिना किसी रुकावट और लगातार पद पर काम कर रही थी और सेवा में ब्रेक तकनीकी प्रकृत...

इलाहाबाद हाईकोर्ट :  दुल्हन के नाबालिग होने
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : दुल्हन के नाबालिग होने , मात्र से हिंदू विवाह अमान्य नहीं

मामला एक युद्ध विधवा और उसके ससुराल वालों के बीच मृतक सैन्य अधिकारी के आश्रितों को मिलने वाले लाभों के अधिकार से जुड़ा ह...

दिल्ली हाईकोर्ट  :  विवाहेतर संबंध का होना
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट  :  विवाहेतर संबंध का होना , आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं

पीठ ने कहा कि आरोपित अगर चाहता तो शरियत के अनुसार तलाक दे सकता था, लेकिन उसने इसके बजाय मौजूदा शादी जारी रखी।