उत्तराखंड हाईकोर्ट : माता-पिता के विवाद में दादा-दादी

blog-img

उत्तराखंड हाईकोर्ट : माता-पिता के विवाद में दादा-दादी
को मिल सकती है बच्चों की कस्टडी

देहरादून। पति -पत्नी साथ नहीं रहेंगे तो बच्चों की कस्टडी दादा-दादी को सौंप दी जाएगी। उत्तराखंड की हाईकोर्ट ने यह बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि जिन बच्चों के माता-पिता वैवाहिक विवाद में उलझे हैं, उनकी अभिरक्षा उनके दादा-दादी को सौंपी जा सकती है। मुख्य न्यायाधीश ऋतु बहरी और जस्टिस राकेश थपलियाल की पीठ ने यह आदेश दिया है। उन्होंने तर्क दिया है कि माता-पिता के विवाद में बच्चों के भावनात्मक विकास पर असर नहीं पड़ना चाहिए। ऐसे में उनकी कस्टडी दादा-दादी को भी मिलनी चाहिए।

हाईकोर्ट माता-पिता के वैवाहिक विवाद के दौरान बच्चों को होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए एडवोकेट श्रुति जोशी की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान मामले में फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा, 'पारिवारिक अदालतों को यह निर्देश देना आवश्यक है कि बच्चे की कस्टडी माता-पिता के साथ-साथ दादा-दादी को भी मिलनी चाहिए ताकि बच्चे का भावनात्मक विकास प्रभावित न हो।'

कोर्ट का यह आदेश 6 मार्च को ही पारित किया गया था लेकिन 10 मार्च को इसे जारी किया गया। कोर्ट ने फैमिली कोर्ट में परामर्श प्रक्रिया में सुधार के संबंध में इस साल जनवरी में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय की ओर से जारी एक लेटर पर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति एपी शाह की अध्यक्षता वाले कानून आयोग ने 22 मई 2015 को सिफारिश की थी कि फैमिली कोर्ट के पास 'बच्चे का स्वतंत्र मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन' हासिल करने की शक्ति होनी चाहिए। साथ ही बच्चे के मनोविज्ञान को समझने के लिए पेशेवर मदद मिलनी चाहिए। पीठ ने कहा कि चूंकि उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है, ऐसे में मौजूदा मामले में प्रभावी मध्यस्थता के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से काउंसलिंग की जा सकती है, ताकि दोनों पक्षों को दूर-दराज के स्थानों से यात्रा न करनी पड़े।

संदर्भ स्रोत : नवभारत टाइम्स 

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



केरल हाईकोर्ट : पति द्वारा लगातार निगरानी
अदालती फैसले

केरल हाईकोर्ट : पति द्वारा लगातार निगरानी , और निराधार संदेह तलाक का आधार

अदालत ने कहा कि ऐसे रिश्ते में बने रहना महिला के सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए घातक हो सकता है।

बॉम्बे हाईकोर्ट : नाना की संपत्ति
अदालती फैसले

बॉम्बे हाईकोर्ट : नाना की संपत्ति , में नातिन का जन्मसिद्ध अधिकार नहीं

हाईकोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम को किया स्पष्ट-कहा कि 2005 के हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम ने बेटियों को सहदायिक अधिक...

दिल्ली हाईकोर्ट : दोस्ती दुष्कर्म का लाइसेंस नहीं है
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : दोस्ती दुष्कर्म का लाइसेंस नहीं है

आरोपी की जमानत याचिका रद करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

राजस्थान हाईकोर्ट : दूसरी शादी शून्य घोषित
अदालती फैसले

राजस्थान हाईकोर्ट : दूसरी शादी शून्य घोषित , न होने पर भी महिला भरण-पोषण की हकदार

दूसरी शादी-मेंटेनेंस विवाद, हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश पलटा  महिला के भरण-पोषण पर मामला वापस भेजा फैमिली कोर्ट में...

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : लंबे समय तक
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : लंबे समय तक , पति-पत्नी का अलग रहना मानसिक क्रूरता

हाईकोर्ट ने कहा -47 साल का रिश्ता टूटा, पत्नी को 10 लाख देना होगा, तलाक की अर्जी मंजूर

राजस्थान हाईकोर्ट : बिना तलाक लिए दूसरी शादी
अदालती फैसले

राजस्थान हाईकोर्ट : बिना तलाक लिए दूसरी शादी , करने वाली माँ से छीनी बच्चे की  कस्टडी

कोर्ट ने फैसले में कहा- महिला सहानुभूति की हकदार नहीं, अब दादा के पास रहेगा पोता