सुप्रीम कोर्ट : स्त्री धन महिला की पूर्ण संपत्ति है,

blog-img

सुप्रीम कोर्ट : स्त्री धन महिला की पूर्ण संपत्ति है,
जिसे वो अपनी मनमर्जी से खर्च कर सकती है

सुप्रीम कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच विवाद के एक केस में केरल हाईकोर्ट के फैसले को नकारते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्त्रीधन महिला की पूर्ण संपत्ति है, जिसे वो अपनी मनमर्जी से खर्च कर सकती है। पत्नी की सम्पत्ति में पति का कोई हक नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार पति संकट काल में पत्नी की इस सम्पत्ति का उपयोग कर सकता है, लेकिन उसे इसका मूल्य भी लौटाना होगा। इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत पति को अपनी पत्नी के जेवरात छीनने पर 25 लाख रुपये की आर्थिक भरपाई करने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट के  फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द

महिला की उम्र करीब 50 वर्ष है, उसकी शादी 21 साल पहले हुई थी। बढ़ती महंगाई से जीवन यापन के लिए बढ़े खर्चों व हित को ध्यान में रखकर महिला को क्षतिपूर्ति किए जाने का आदेश दिया। शुरू में यह मामला फैमिली कोर्ट पहुंचा था और उसके बाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के 2022 में दिए गए उस फैसले को भी सिरे से रद्द कर दिया, जिसमें हाईकोर्ट ने तलाक मंजूर करते हुए पति और सास से महिला को सोने की कीमत के रूप में करीब 9 लाख रुपये वसूलने के फैमिली कोर्ट के एक आदेश को रद्द कर दिया था।

हाईकोर्ट के इस तर्क को भी सुप्रीम कोर्ट ने नकारा

इस मामले में केरल हाईकोर्ट का तर्क था कि यह विश्वसनीय ही नहीं है कि एक नवविवाहित महिला से शादी की पहली रात ही सोने के सभी आभूषण छीने जा सकते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लालच मनुष्यों को घृणित अपराध करने के लिए भी प्रेरित करता है, इसलिए लगाए गए आरोप के अनुसार यह नहीं कहा जा सकता कि शादी की पहली रात गहने छीनना विश्वसनीय नहीं है।

यह किया था पत्नी ने दावा

इस मामले के अनुसार पत्नी ने दावा किया था कि 2003 में शादी की पहली रात पति ने उसके गहने ले लिए थे। इन सभी गहनों को सुरक्षित रखने की बात कहकर पति ने अपनी मां को रखने के लिए दे दिए। पति-पत्नी का आपसी रिश्ता शादी के तीन साल बाद ही खत्म हो गया था। इस मामले में केरल हाईकोर्ट ने वर्ष 2009 में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए महिला की ओर से सद्भावना की कमी को जिम्मेदार ठहराया गया था। वहीं इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए पत्नी को आर्थिक क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया।

सन्दर्भ स्रोत : माय जॉब अलार्म

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



राजस्थान हाईकोर्ट : दूसरी शादी शून्य घोषित
अदालती फैसले

राजस्थान हाईकोर्ट : दूसरी शादी शून्य घोषित , न होने पर भी महिला भरण-पोषण की हकदार

दूसरी शादी-मेंटेनेंस विवाद, हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश पलटा  महिला के भरण-पोषण पर मामला वापस भेजा फैमिली कोर्ट में...

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : लंबे समय तक
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : लंबे समय तक , पति-पत्नी का अलग रहना मानसिक क्रूरता

हाईकोर्ट ने कहा -47 साल का रिश्ता टूटा, पत्नी को 10 लाख देना होगा, तलाक की अर्जी मंजूर

राजस्थान हाईकोर्ट : बिना तलाक लिए दूसरी शादी
अदालती फैसले

राजस्थान हाईकोर्ट : बिना तलाक लिए दूसरी शादी , करने वाली माँ से छीनी बच्चे की  कस्टडी

कोर्ट ने फैसले में कहा- महिला सहानुभूति की हकदार नहीं, अब दादा के पास रहेगा पोता

इलाहाबाद हाईकोर्ट : पत्नी-बेटी को देना ही होगा गुजारा भत्ता
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : पत्नी-बेटी को देना ही होगा गुजारा भत्ता

न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश को सही ठहराया और पति की आर्थिक स्थिति को देखते हुए गुजारा भत्ता देने की क्षमता को स्वीका...

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट : विवाहिता शादी
अदालती फैसले

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट : विवाहिता शादी , के वादे पर संबंध बनाए तो यह व्यभिचार

कोर्ट ने यह भी कहा कि विवाह का वादा अगर किसी अविवाहित महिला से किया जाए, तब वह समझ में आता है लेकिन जब महिला पहले से विव...

बॉम्बे हाईकोर्ट : विधवा को ससुराल में रहने का
अदालती फैसले

बॉम्बे हाईकोर्ट : विधवा को ससुराल में रहने का , अधिकार, वंचित करना घरेलू हिंसा के बराबर

विधवा को घर से निकालना सिर्फ अन्याय नहीं, शोषण भी है – कोर्ट की नागपुर बेंच ने ऐसा क्यों कहा