छाया: नवदुनिया
फैसला: फैमिली कोर्ट के आदेश को दी गई थी चुनौती, 18 साल पुरानी शादी टूटी
जबलपुर। तलाक के एक मामले को हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी। कोर्ट ने पत्नी का संबंध बनाने से इनकार करना पति के प्रति क्रूरता माना और तलाक के लिए वैध आधार कहा है। फैमिली कोर्ट के पूर्व के आदेश को चुनौती देने के मामले पर जस्टिस शील नागू और विनय सराफ की पीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक संबंध को कायम रखने पति-पत्नी के बीच अंतरंगता अनिवार्य है। कोर्ट ने पाया कि प्रतिवादी पत्नी ट्रायल कोर्ट से लेकर कोर्ट के समक्ष उपस्थित नहीं हुई और वह शादी बचाने की इच्छुक नहीं है। इसी के साथ कोर्ट ने 18 साल पुरानी शादी खत्म कर तलाक को मंजूरी दी।
मानसिक क्रूरता मापने का कोई पैमाना नहीं
अपने महत्वपूर्ण फैसले में हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि वैवाहिक मामलों में मानसिक क्रूरता का निर्धारण करने के लिए कोई निश्चित पैमाना नहीं हो सकता है। मामले का फैसला करने का विवेकपूर्ण और उचित तरीका प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए उसके विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों पर इसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा, प्रतिवादी पत्नी ससुराल से चली गई, इसलिए शादी अधूरी रही। अपीलकर्ता का आरोप कि शारीरिक अंतरंगता से इनकार करना मानसिक क्रूरता है, का खंडन नहीं किया, क्योंकि प्रतिवादी कोर्ट में पेश नहीं हुई। पीठ ने फैसले के लिए सुखेंदु दास बनाम रीता मुखर्जी मामले को आधार बनाया।
2006 में शादी, पश्चिम बंगाल में प्रताड़ना का केस
हाईकोर्ट भोपाल फैमिली कोर्ट के आदेश को दी गई चुनौती की अपील पर सुनवाई कर रही थी। याचिका कर्ता ने बताया कि शादी 2006 में हुई, तब से पत्नी ने हाथ नहीं लगाने दिया। शादी के बाद अमरीका जाने के दौरान भी संबंध बनाने से इनकार किया। बाद में परिवार पर पश्चिम बंगाल में दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया।
संदर्भ स्रोत: पत्रिका
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *