पत्नी ने बीमारी छिपाकर शादी की,हाईकोर्ट ने शून्य किया विवाह

blog-img

पत्नी ने बीमारी छिपाकर शादी की,हाईकोर्ट ने शून्य किया विवाह

राजस्थान हाईकोर्ट (जयपुर की डिविजनल बेंच) ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने मानसिक बीमारी (सिजोफ्रेनिया) से पीड़ित महिला का विवाह निरस्त (शून्य) कर दिया है। अदालत ने माना कि विवाह से पहले महिला की गंभीर मानसिक बीमारी की जानकारी पति और उसके परिवार से छिपाई गई। यह हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12(1)(c) के तहत ‘धोखाधड़ी’ की श्रेणी में आता है। 

कोर्ट ने कहा- सिजोफ्रेनिया केवल अस्थायी मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) नहीं, बल्कि एक गंभीर मनोवैज्ञानिक विकार है। यह सक्रिय अवस्था में व्यक्ति को सामान्य वैवाहिक जीवन जीने से रोक सकता है। 

सुप्रीम कोर्ट के पहले दिए निर्णयों के आधार पर हाईकोर्ट ने माना कि इस मामले में पत्नी की बीमारी विवाह के लिए ‘महत्वपूर्ण तथ्य’ (मैरिटल फैक्ट) था। इसे छिपाना पति के साथ स्पष्ट धोखाधड़ी है। इस कानूनी सिद्धांत को अपनाते हुए कोर्ट ने विवाह को शून्य घोषित किया और पति को सभी आपराधिक व आर्थिक मुकदमों से मुक्त कर दिया।

इस केस की पैरवी एडवोकेट उदय शंकर आचार्य और उमाशंकर आचार्य ने की। मामले में पति का पक्ष रखने वाले एडवोकेट उमाशंकर आचार्य ने कहा- इस फैसले के साथ ही पति पर दर्ज भरण-पोषण, घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना के सभी मुकदमे भी समाप्त होंगे। इसके लिए हाईकोर्ट की ओर से जारी आदेश की कॉपी जिला न्यायालय में भिजवा दी गई है। 

महिला के सामान में मिली थी मनोचिकित्सक की पर्ची 

यह मामला 2013 में कोटा निवासी महिला और चित्तौड़गढ़ निवासी पुरुष के बीच हुए विवाह से जुड़ा है। शादी के बाद ससुराल पहुंचने पर महिला ने कथित रूप से असामान्य व्यवहार किया। महिला के साथ पीहर से आए सामान में मनोचिकित्सक की ओर से जारी एक पर्ची मिली, जिसमें सिजोफ्रेनिया का इलाज चलने का उल्लेख था। 

पति ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था- पत्नी की बीमारी के कारण विवाह के बाद शारीरिक संबंध (consummation) संभव नहीं हुआ। विवाह से पहले यह तथ्य छिपाया गया। वहीं, पत्नी ने आरोप लगाए कि पति और ससुरालवालों ने दहेज की मांग की और उसका उत्पीड़न किया, साथ ही यह भी कहा कि वह किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित नहीं है। सिर्फ विवाह से कुछ दिन पहले मां और बहन के एक्सीडेंट के बाद अवसाद (डिप्रेशन) में थी। 

पहले फैमिली कोर्ट ने खारिज किया था मामला 

कोटा की फैमिली कोर्ट नंबर-3 ने 28 अगस्त 2019 को पति की याचिका खारिज कर दी थी। इसके खिलाफ पति ने राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर पीठ में अपील दायर की। जस्टिस इंदरजीत सिंह और जस्टिस आनंद शर्मा की खंडपीठ ने रिकॉर्ड, गवाहों और मेडिकल सबूतों की विस्तृत समीक्षा की। कोर्ट ने पाया कि पत्नी को सिजोफ्रेनिया था और वह इस रोग की दवाई ले रही थी। यह तथ्य विवाह से पहले पति और उसके परिवार से छिपाया गया।

बीमारी की वजह से पति को सामान्य वैवाहिक जीवन का अधिकार नहीं मिला। कोर्ट ने माना कि सिजोफ्रेनिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारी का तथ्य छिपाना धोखाधड़ी है। ऐसे विवाह को निरस्त किया जा सकता है।

2013 से चल रही लड़ाई में 12 साल बाद पति को मिला न्याय 

मामले में पति का पक्ष रखने वाले एडवोकेट उमाशंकर आचार्य ने कहा- पीड़ित की पत्नी सिजोफ्रेनिया बीमारी से पीड़ित थी और इस तथ्य को विवाह से पहले जानबूझकर छिपाया गया। यह राजस्थान में डिविजनल बेंच का इकलौता ऐसा फैसला है, जिसमें शादी को शून्य घोषित करने के साथ-साथ पति पर लगे भरण-पोषण, घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना के सभी मुकदमे भी निष्प्रभावी हो जाएंगे।। 2013 से चल रही इस लंबी लड़ाई में आखिरकार 31 जुलाई को 12 साल बाद न्याय मिला है। 

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला राजस्थान में अपने आप में एक मिसाल है, क्योंकि डिविजनल बेंच ने मानसिक बीमारी को विवाह शून्यता का आधार मानते हुए पति को सभी आपराधिक और आर्थिक दायित्वों से मुक्त कर दिया।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट 

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता से शादी
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता से शादी , करने पर बलात्कार का आरोप किया रद्द

कहा- आरोपी से पीड़िता ने रचाई शादी, अब बच्चे के साथ जी रहे खुशहाल जीवन.अपराध सिद्ध होने की कम संभावना

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : अविवाहित बेटी को पिता
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : अविवाहित बेटी को पिता , से गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार

कोर्ट ने कहा- बेटी की जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता पिता

सुप्रीम कोर्ट : तलाक दिया तो लौटना होगा सारा दहेज
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट : तलाक दिया तो लौटना होगा सारा दहेज

तलाक से जुड़े केस पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

केरल हाईकोर्ट : पत्नी की बेवफाई के कारण पति
अदालती फैसले

केरल हाईकोर्ट : पत्नी की बेवफाई के कारण पति , को गुजारा भत्ता देने से मिल सकती है छूट

कोर्ट ने कहा कि उपरोक्त परिस्थितिजन्य साक्ष्य, संभावनाओं की अधिकता के आधार पर, 'व्यभिचार में रहने' के तथ्य को स्थापित कर...

राजस्थान हाईकोर्ट : पेंशन पर दो पत्नियों का
अदालती फैसले

राजस्थान हाईकोर्ट : पेंशन पर दो पत्नियों का , दावा, नॉमिनी होने से कोई वारिस नहीं बनता

कोर्ट ने माना कि विवाह की वैधता और 'असली पत्नी' कौन है। यह तय करना हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इसके लिए गवाह...

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट : लिव-इन
अदालती फैसले

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट : लिव-इन , रिलेशनशिप में रह रहे जोड़े को सुरक्षा का अधिकार

महिला पहले से शादीशुदा थी और उसका एक बच्चा भी है, जबकि पुरुष अविवाहित है। दोनों ने बताया कि वे अपनी मर्जी से साथ रह रहे...