पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि मां से बेहतर कोई भी अपने बच्चे की सुरक्षा और भलाई का आंकलन नहीं कर सकता। यह निर्णय तब आया जब एक 10 वर्षीय बच्ची की मां को जमानत दी गई, जो हरियाणा के पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार हुई थी। इस मामले में बच्ची का पिता पहले से ही जेल में था और मां को भी गिरफ्तार कर लिया गया था, जिसके बाद उसे अपनी बेटी को रिश्तेदारों के पास छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
मां ने सुरक्षा और भलाई के लिए अदालत में लगाई गुहार
मां ने अदालत से कहा कि वह अपनी बेटी की सुरक्षा और भलाई को लेकर चिंतित है और उसे किसी और पर भरोसा नहीं है कि वे उसकी बेटी का सही तरीके से ध्यान रख सकेंगे। बच्ची अब 10 साल की हो चुकी है, जो किशोरावस्था में प्रवेश का महत्वपूर्ण समय होता है। यह समय बच्चे के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास के लिए बेहद संवेदनशील होता है। इस उम्र में बच्चे को माता-पिता के मार्गदर्शन और भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता होती है, ताकि वह स्थिर और सुरक्षित वातावरण में अपने विकास की दिशा में आगे बढ़ सके।
मां की भूमिका सबसे जरूरी
अदालत ने माना कि मां की भूमिका इस महत्वपूर्ण चरण में बेहद अहम है। मां का बच्ची के साथ होना उसके लिए न सिर्फ भावनात्मक बल्कि शारीरिक सुरक्षा के लिहाज से भी जरूरी है। अदालत ने यह भी कहा कि मां की अनुपस्थिति से बच्ची के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, बच्ची की सुरक्षा और सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए, हाईकोर्ट ने मां को जमानत पर रिहा करने का फैसला किया, भले ही उसके खिलाफ प्रथम दृष्टया साक्ष्य मौजूद हों। हाईकोर्ट के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि बच्चे के जीवन में माता-पिता, विशेषकर मां की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है और उनका बच्चों के जीवन में होना उनके सुरक्षित और स्वस्थ विकास के लिए अनिवार्य है।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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