प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 40 साल से अलग रह रहे दंपती के तलाक के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि भले ही पति ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली की मांग की हो, लेकिन ऐसे आदेश के होने के एक साल बाद तक साथ न रहने पर पति तलाक की मांग कर सकता है।
न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह एवं न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 (1ए) (आई) इस बात में कोई संदेह नहीं छोड़ती कि एक पक्षकार, जिसे वैवाहिक अधिकारों की बहाली का आदेश दिया गया हो, तलाक का दावा कर सकता है। यदि उस आदेश को पति या पत्नी द्वारा प्रभावी नहीं किया जाता या उसका पालन नहीं किया जाता।
कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम में वैवाहिक अधिकारों की बहाली के आदेश होने के एक साल या उससे अधिक समय बाद तक साथ न रहने पर तलाक देने का प्रावधान है। अपील के तथ्यों के अनुसार भूरालाल एवं मायादेवी का विवाह 1979 में हुआ था। 1984 में पति ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए मुकदमा किया, उसके पक्ष में एकतरफा आदेश हुआ। एक वर्ष से अधिक समय तक साथ रहने में विफल रहने पर रामपुर की फैमिली कोर्ट ने बीच विवाह को भंग करने का आदेश दिया था।
फैमिली कोर्ट के तलाक के आदेश को अपील में चुनौती देते हुए पत्नी ने कहा कि दोनों पक्ष 1984 में दीपावली के दौरान एक साथ रहे थे। तर्क के समर्थन में कहा गया कि पत्नी ने दीपावली के दौरान अपने पति को पांच हजार रुपये भी दिए थे। हालांकि पत्नी के पिता ने अपने बयान में इस तथ्य का खंडन किया। कोर्ट ने कहा कि पति तलाक के आदेश का हकदार है क्योंकि 1984 से पत्नी साथ नहीं है। यह देखते हुए कि दोनों 40 वर्षों से अलग रह रहे थे, कोर्ट ने तलाक के फैमिली कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा।
संदर्भ स्रोत : ईटीवी भारत
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *