नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए एक कथित धर्मगुरु द्वारा धोखाधड़ी कर 18 वर्षीय युवती से किए गए विवाह को शून्य घोषित कर दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि यदि विवाह हिंदू रीति के बिना हुआ है तो उक्त विवाह के लिए मैरिज रजिस्ट्रार द्वारा जारी मैरिज सर्टिफिकेट अथवा आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी प्रमाण पत्र का कोई महत्व नहीं रह जाता।
यह निर्णय न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने युवती की ओर से दाखिल प्रथम अपील पर पारित किया है। अपील में परिवार न्यायालय, लखनऊ के 29 अगस्त 2023 के निर्णय को चुनौती दी गई थी। युवती ने हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 12 के तहत वाद दाखिल करते हुए, 5 जुलाई 2009 को हुए कथित विवाह को शून्य घोषित किए जाने की मांग परिवार न्यायालय में की थी। वहीं प्रतिवादी ने भी धारा 9 के तहत वैवाहिक अधिकारों के पुनर्स्थापना के लिए वाद दाखिल किया था। परिवार न्यायालय ने दोनों वादों पर एक साथ सुनवाई करते हुए युवती के धारा 12 के वाद को निरस्त कर दिया जबकि प्रतिवादी के वाद को मंजूर कर लिया।
परिवार न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए अपीलार्थी युवती की ओर से दलील दी गई कि प्रतिवादी एक धर्मगुरु है। युवती की मां व मौसी उसकी अनुयायी थीं। 5 जुलाई 2009 को उसने अपीलार्थी व उसकी मां को अपने यहां बुलाया व कुछ दस्तावेजों पर यह कहते हुए दोनों के हस्ताक्षर करवाए कि वह उन्हें अपने धार्मिक संस्थान का नियमित सदस्य बनाना चाहता है। इसके पश्चात 3 अगस्त 2009 को भी उसने सेल डीड में गवाह बनने के नाम पर रजिस्ट्रार ऑफिस बुलाकर दोनों के हस्ताक्षर करवा लिए। कुछ दिनों बाद उसने अपीलार्थी के पिता को सूचना दी कि 5 जुलाई 2009 को उसका आर्य समाज मंदिर में अपीलार्थी से विवाह हो गया है व 3 अगस्त 2009 को पंजीकरण भी हो चुका है।
कहा गया कि सभी दस्तावेज धोखाधड़ी कर बनवाए गए। अपील का प्रतिवादी ने विरोध किया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि विवाह को सिद्ध करने का भार प्रतिवादी पर था, परंतु हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 7 के तहत हिंदू रीति से विवाह होना प्रतिवादी सिद्ध नहीं कर सका। ऐसे में धारा 7 के तहत विवाह सम्पन्न होना नहीं माना जा सकता।
संदर्भ स्रोत : अग्निबाण
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *