केरल हाईकोर्ट ने एक बड़ा और संवेदनशील फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सिर्फ पति की मौत हो जाने से पत्नी को उसके ससुराल या पति के घर से नहीं निकाला जा सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी महिला के पास घर का मालिकाना हक नहीं भी है, तब भी उसे उस घर में रहने का पूरा हक है।
महिला को मिला राहत भरा आदेश
यह मामला केरल के पलक्कड़ जिले की एक महिला से जुड़ा है। महिला ने बताया कि उसके पति की मौत साल 2009 में हो गई थी। इसके बाद वह अपने बच्चों के साथ उसी घर में रह रही थी। लेकिन पति के रिश्तेदारों ने उसे और बच्चों को वहां से निकालने की कोशिश की। महिला ने पहले पलक्कड़ सत्र न्यायालय में केस किया, जहां से उसे राहत मिली।
रिश्तेदारों ने फिर उठाए सवाल, मामला पहुंचा हाईकोर्ट
सत्र न्यायालय ने महिला के हक में फैसला सुनाया और उसे पति के घर में रहने की इजाजत दी। लेकिन पति के रिश्तेदार इस फैसले से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने हाईकोर्ट में अपील कर दी। अब हाईकोर्ट ने भी साफ शब्दों में महिला के अधिकार को सही ठहराया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी भी महिला को छत और सुरक्षा देने से इनकार नहीं किया जा सकता। यह महिला की गरिमा से जुड़ा बुनियादी अधिकार है। न्यायमूर्ति एमबी स्नेहलता ने यह भी कहा कि कानून के मुताबिक एक महिला को उसके पति के घर में रहने से नहीं रोका जा सकता, चाहे घर का मालिक कोई भी हो।
अब महिला और बच्चे सुरक्षित
इस फैसले से न सिर्फ पलक्कड़ की उस महिला को राहत मिली है, बल्कि पूरे देश की उन महिलाओं के लिए भी उम्मीद जगी है जो ऐसे ही हालात से गुजरती हैं। अब साफ हो गया है कि पति की मौत के बाद भी महिला को उसके घर से निकाला नहीं जा सकता, और कानून उसके साथ है।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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