राजस्थान हाईकोर्ट : जमानती अपराध में

blog-img

राजस्थान हाईकोर्ट : जमानती अपराध में
महिलाओं को 43 दिन जेल में रहना खेदजनक

राजस्थान हाईकोर्ट ने जमानती अपराध में दो महिला आरोपियों को 43 दिन जेल में रखने पर खेद प्रकट किया। जस्टिस अनिल उपमन की अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा- एक संवैधानिक न्यायालय का न्यायाधीश होते हुए मुझे यह कहने में हिचकिचाहट नहीं है कि इस मामले में सभी लोग अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे हैं। चाहे जांच अधिकारी हो, आरोपी के वकील, सरकारी वकील, जज और न्यायिक प्रक्रिया में शामिल लोग हों।

अदालत ने दोनों महिलाओं को छूट दी है कि अगर उन्हें लगता है कि उनके मौलिक अधिकारियों का हनन हुआ है। वह इस मामले में कानूनी कार्रवाई कर सकती हैं। वहीं, कोर्ट ने ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट और एडीजे के खिलाफ कार्रवाई के लिए संबंधित जिला जज को मामला भेजने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने आरोपी महिला मीतू पारीक और इंदू वर्मा की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए।

जमानती अपराध में जमानत अधिकार कोर्ट ने कहा- जमानती अपराध में जमानत एक अधिकार है न कि न्यायाधीश का विवेकाधिकार। इस तरह के मामलों में अगर अपराधी आवश्यक बेल बॉन्ड और सिक्योरिटी देने के लिए तैयार है तो पुलिस और अदालत जमानत देने से इनकार नहीं कर सकती है।
 

अदालत ने कहा- “व्यक्तिगत स्वतंत्रता मनुष्य की अमूल्य निधि है। सदियों से लोग स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे हैं।” अदालत ने डीजीपी को भी संबंधित पुलिस अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगने के लिए कहा है। थाने से ही मिल जानी चाहिए थी जमानत वकील राजेश महर्षि ने बताया- दोनों महिलाओं को व्यापारी को सेक्सटॉर्शन केस में फंसाने की धमकी देकर रुपए ऐंठने के मामले में 16 जून को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। लेकिन, पुलिस ने दोनों महिलाओं पर जो धारा लगाई, वो जमानती प्रकृति की थी। 

ऐसे में पुलिस महिलाओं को गिरफ्तार करके मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं कर सकती थी। उन्हें थाने से ही जमानत मिल जानी चाहिए थी। इसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने जब महिलाओं को पेश किया गया तो उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए था। लेकिन उन्होंने भी महिलाओं को ज्यूडिशियल कस्टडी मे भेज दिया। जब इनकी जमानत याचिका लगाई गई तो उसे खारिज करते हुए ज्यूडिशियल कस्टडी बढ़ा दी। 

इसके बाद जयपुर महानगर द्वितीय की एडीजे-6 कोर्ट में जमानत याचिका लगाई गई। उन्होंने भी इस ओर ध्यान नहीं देते हुए जमानत खारिज कर दी। फिर हमने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने 28 जुलाई को जमानत दी थी।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट 

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



इलाहाबाद हाईकोर्ट : हिंदू विवाह केवल
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : हिंदू विवाह केवल , रजिस्टर्ड न होने से अमान्य नहीं हो जाता

जस्टिस मनीष निगम ने अपने फैसले में कहा, 'हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत जब शादी विधिवत तरीके से होती है, तो उसका रजिस्ट्रे...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट :  अपने पसंदीदा शादीशुदा
अदालती फैसले

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट :  अपने पसंदीदा शादीशुदा , मर्द के साथ रह सकती है महिला

कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो उसे ऐसा करने से रोके।

दिल्ली हाईकोर्ट : पति की सैलरी बढ़ी
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : पति की सैलरी बढ़ी , तो पत्नी का गुजारा भत्ता भी बढ़ेगा  

महिला ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें गुजारा भत्ता बढ़ाने की उसकी अपील को खारिज कर दिया गया था।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : पत्नी के जीवित रहने
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : पत्नी के जीवित रहने , तक भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है पति

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि आर्थिक रूप से सक्षम पति को अपनी पत्नी का भरण-पोषण करना होगा जब तक वह जीवित है भले...

दिल्ली हाईकोर्ट : ग्रामीणों के सामने तलाक लेकर
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : ग्रामीणों के सामने तलाक लेकर , नहीं किया जा सकता हिंदू विवाह को भंग

कोर्ट ने CISF के एक बर्खास्त कांस्टेबल को राहत देने से इनकार कर दिया जिसने पहली शादी से तलाक लिए बिना दूसरी शादी की थी।