कलकत्ता हाईकोर्ट : बेटी की ससुराल में टिक जाना भी क्रूरता

blog-img

कलकत्ता हाईकोर्ट : बेटी की ससुराल में टिक जाना भी क्रूरता

कलकत्ता हाईकोर्ट ने ससुराल में पत्नी की मित्र और उसके परिवार की लगातार मौजूदगी और वैवाहिक क्रूरता का झूठा मामला दर्ज कराने के आधार पर पति के पक्ष में तलाक का फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पति के पक्ष में तलाक देने से इन्कार करने संबंधी निचली अदालत के फैसले को विकृत और त्रुटिपूर्ण करार देते हुए खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि वैवाहिक बंधन अब सुधार से परे हो चुका है।

मानसिक क्रूरता का पर्याप्त मामला

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अपीलकर्ता (पति) ने प्रतिवादी (पत्नी) के खिलाफ मानसिक क्रूरता का पर्याप्त मजबूत मामला दर्ज कराया है, जिससे इन आधार पर तलाक देने को उचित ठहराया जा सकता है। पीठ में न्यायमूर्ति उदय कुमार भी शामिल थे।

रिकॉर्ड से मौजूदगी हुई प्रमाणित

न्यायालय ने कहा कि पूर्व मेदिनीपुर जिले के कोलाघाट में पति के सरकारी आवास में उसकी आपत्ति और असहजता के बावजूद पत्नी की महिला मित्र और उसके परिवार के अन्य सदस्यों की उपस्थिति रिकॉर्ड से प्रमाणित होती है। पीठ ने कहा कि प्रतिवादी की मित्र और परिवार को पति की इच्छा के विरुद्ध उसके क्वार्टर में लगातार लंबे समय तक रखना, कभी-कभी तो स्वयं प्रतिवादी-पत्नी के वहां न होने को भी निश्चित रूप से क्रूरता माना जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले में पत्नी ने एकतरफा निर्णय लेकर काफी समय तक पति के साथ वैवाहिक जीवन जीने से इन्कार किया और निस्संदेह लंबे समय तक अलगाव रहा, जो स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि वैवाहिक बंधन अब सुधार से परे हो चुका है।

महिला मित्र के साथ अधिक समय बिताती है पत्नी

पति के वकील ने दलील दी कि पत्नी अधिकतर समय अपनी महिला मित्र के साथ बिताती थी जो अपने आप में क्रूरता का कृत्य है। इस जोड़े की शादी 15 दिसंबर 2005 को हुई थी। पति ने 25 सितंबर 2008 को तलाक का मुकदमा दायर किया था और उसी वर्ष 27 अक्टूबर को पत्नी ने पति और उसके परिवार के खिलाफ नवद्वीप पुलिस थाने में पंजीकृत डाक से शिकायत भेजी थी।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

 

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



मप्र हाईकोर्ट  : किसी के भी साथ रहने
अदालती फैसले

मप्र हाईकोर्ट  : किसी के भी साथ रहने , को स्वतंत्र है शादीशुदा महिला

बयान में महिला ने साफ शब्दों में कहा कि वह बालिग है और अपनी मर्जी से याचिकाकर्ता धीरज नायक के साथ रहना चाहती है। महिला न...

दिल्ली हाईकोर्ट : सहमति से तलाक की पहली
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : सहमति से तलाक की पहली , अर्जी के लिए 1 साल का इंतजार अनिवार्य नहीं

पीठ ने कहा कि एचएमए की धारा 13बी के तहत अनिवार्य अवधि को माफ किया जा सकता है, ताकि एक जोड़े को ऐसे शादी के रिश्ते में फं...

बॉम्बे हाईकोर्ट : अस्थायी आधार पर काम करने
अदालती फैसले

बॉम्बे हाईकोर्ट : अस्थायी आधार पर काम करने , वाली महिला मातृत्व अवकाश के लाभों की हकदार

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वह मई 2021 से बिना किसी रुकावट और लगातार पद पर काम कर रही थी और सेवा में ब्रेक तकनीकी प्रकृत...

इलाहाबाद हाईकोर्ट :  दुल्हन के नाबालिग होने
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : दुल्हन के नाबालिग होने , मात्र से हिंदू विवाह अमान्य नहीं

मामला एक युद्ध विधवा और उसके ससुराल वालों के बीच मृतक सैन्य अधिकारी के आश्रितों को मिलने वाले लाभों के अधिकार से जुड़ा ह...

दिल्ली हाईकोर्ट  :  विवाहेतर संबंध का होना
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट  :  विवाहेतर संबंध का होना , आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं

पीठ ने कहा कि आरोपित अगर चाहता तो शरियत के अनुसार तलाक दे सकता था, लेकिन उसने इसके बजाय मौजूदा शादी जारी रखी।