हिमाचल हाईकोर्ट:  जीवनसाथी पर नाजायज

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हिमाचल हाईकोर्ट:  जीवनसाथी पर नाजायज
संबंधों का झूठा आरोप लगाना क्रूरता

छाया: लाइव लॉ डॉट इन

• तलाक के खिलाफ महिला की अपील खारिज

शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने तलाक के खिलाफ एक महिला की अपील खारिज करते हुए कहा है कि जीवनसाथी पर नाजायज संबंधों को लेकर झूठा आरोप लगाना क्रूरता की श्रेणी में माना जाएगा। बता दें कि हाल ही में फैमिली कोर्ट ने एक पति के आवेदन पर तलाक का फैसला सुनाया था। इस फैसले को पत्नी ने अपील के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। 

हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह का आरोप लगाना ही मानसिक क्रूरता की शुरुआत है।  कोर्ट ने कहा कि निश्चित रूप से पत्नी द्वारा पति के खिलाफ लगाए गए ऐसे आरोप अपमान और क्रूरता का सबसे खराब रूप हैं। हाईकोर्ट के जज जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस संदीप शर्मा की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वैवाहिक रिश्ते बहुत नाजुक होते है। ऐसे रिश्तों को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए आपसी विश्वास, सम्मान और प्यार की जरूरत होती है। कोर्ट ने कहा कि हालांकि हिंदू विवाह अधिनियम में क्रूरता को परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन इसका उपयोग अधिनियम में मानवीय आचरण या व्यवहार के संदर्भ में किया गया है।

उच्च न्यायालय की खंडपीठ के अनुसार क्रूरता एक व्यक्ति के आचरण का क्रम है जो दूसरों के व्यवहार को प्रभावित करता है। क्रूरता शारीरिक, मानसिक, जानबूझकर या अनजाने में हो सकती है। अगर क्रूर व्यवहार शारीरिक है तो यह तथ्य और स्तर की बात है, लेकिन अगर यह मानसिक है तो यह पता लगाने की जरूरत है कि उस व्यवहार का जीवनसाथी के दिल और दिमाग पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। यदि आपके जीवनसाथी के साथ रहना क्रूर व्यवहार के कारण हानिकारक हो रहा है तो उनके जीवन में हस्तक्षेप हो सकता है। भले ही व्यभिचार के आरोप सही हों, शिकायत करने वाले पति या पत्नी के मानसिक तनाव को ध्यान में रखा जा सकता है।

क्या है पूरा मामला

अपील के जरिए हाईकोर्ट के सामने आए इस मामले के मुताबिक जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत शख्स की पत्नी पीटीए टीचर है। साल 2005 में इनकी शादी हुई और करीब तीन साल तक इनका रिश्ता अच्छा रहा। इसी बीच उनकी एक बेटी हुई। जब बेटी सात माह की हुई तो पत्नी को पीटीए शिक्षिका के पद पर नियुक्ति मिल गई। यह नियुक्ति घर से 50 किलोमीटर की दूरी पर हुई थी। महिला अपनी सात माह की बेटी को सास के पास छोड़कर काम पर आ गई। कुछ महीनों बाद पति का भी तबादला हो गया जिसके कारण लड़की को हॉस्टल में रखना पड़ा। महिला की नौकरी लगने के बाद पूरे परिवार में कड़वाहट शुरू हो गई। उसका नौकरी करना कोई अपराध नहीं है, लेकिन कोर्ट ने कहा कि मामले में उत्पन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए घर से 50 किलोमीटर दूर नौकरी के लिए जाना बहस का सवाल है।

महिला ने अपने ससुराल वालों पर कई तरह के गंभीर आपराधिक आरोप लगाने शुरू कर दिए। साथ ही पति पर दूसरी महिला से अवैध संबंध का भी आरोप लगाया। महिला के परिवार वाले उसके पति को फोन पर परेशान करने लगे। फिर एक दिन महिला अपने पति के ऑफिस पहुंची और अवैध संबंधों का झूठा आरोप लगाने लगी। इस बढ़ते मानसिक तनाव को देखते हुए पति को मजबूरन फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए याचिका दायर करनी पड़ी। पति ने अपने पक्ष में 9 और महिला के पक्ष में 5 गवाह पेश किये। फैमिली कोर्ट ने आवेदक के आरोपों को सही पाते हुए क्रूरता के आधार पर तलाक का फैसला सुनाया। महिला ने इस फैसले को हाई कोर्ट में अपील के जरिए चुनौती दी, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया।

संदर्भ स्रोत: राइट न्यूज इंडिया डॉट कॉम

 

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