हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी पत्नी को प्रताड़ित करने और उसे सुसाइड के लिए दबाव के लिए आरोपी एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया है. आरोपी पति ने अपनी मृतक पत्नी के माता-पिता के बयान को निजी गवाह बताते हुए जमानत की मांग की थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने पीड़िता को दहेज के लिए कथित तौर पर प्रताड़ित किए जाने के बारे में उसके माता-पिता की गवाही पर गौर करते हुए कहा कि शादी के बाद बेटी के माता-पिता अजनबी नहीं हो जाते.
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने अपने आदेश में माता-पिता की दलील पर गौर किया. माता-पिता ने दावा किया कि आरोपी व्यक्ति अपनी पत्नी से मोटरसाइकिल और सोने की चेन की मांग करता था और मांग पूरी न होने पर उससे झगड़ा करता था. बाद में इससे परेशान होकर आकर पत्नी ने आत्महत्या कर ली. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने शिकायत दर्ज कराने वाले मृतका के माता-पिता को निजी गवाह बताने की आरोपी व्यक्ति की दलील को खारिज कर दिया और इसे अजीब और भारतीय समाज की वास्तविकता से कोसों दूर बताया.
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा कि अपनी बेटी की शादी दिल्ली में रहने वाले एक व्यक्ति से करने के बाद, वे अपनी बेटी के 'निजी गवाह' नहीं बन जाते-वे हमेशा के लिए उसके माता-पिता बने रहते हैं. सिर्फ इसलिए कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी दूसरे शहर में कर दी, इसका मतलब यह नहीं कि वे अजनबी या निजी व्यक्ति हैं, जिन्हें उसकी मानसिक स्थिति या दैनिक वैवाहिक जीवन के बारे में कोई जानकारी नहीं है. जस्टिस शर्मा ने आगे कहा कि भारत में माता-पिता का अपनी बेटियों के प्रति प्यार और स्नेह तब भी खत्म नहीं होता, जब बेटी का जीवन किसी अन्य परिवार या पुरुष के साथ जुड़ जाता है.
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *