प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्णय दिया है कि तलाकशुदा बेटी अनुकम्पा नियुक्ति की हकदार नहीं है। जब तक कि उसका तलाक और पिता पर निर्भरता साबित न हो जाए। हाईकोर्ट ने माना है कि जब तक एक तलाकशुदा बेटी यह स्थापित नहीं कर पाती कि वह अपने पिता की मृत्यु से पहले उन पर निर्भर थी, वह उनकी मृत्यु के बाद अनुकम्पा नियुक्ति की हकदार नहीं होगी। न्यायालय ने कहा कि तलाकशुदा बेटी को अनुकम्पा नियुक्ति की मांग करते समय अधिकारियों के समक्ष तलाक के तथ्य को भी साबित करना होगा। यह आदेश जस्टिस जे जे मुनीर ने याची अख्तरी खातून की याचिका पर पारित किया है।
कोर्ट ने कहा है कि इसी प्रकार यदि कार्यरत कर्मचारी की मृत्यु की तिथि पर, यह दिखाया जा सकता है कि एक विवाहित बेटी उस पर निर्भर है और उसकी विधवा और नाबालिग परिवार के सदस्यों की देखभाल विवाहित बेटी द्वारा की जा सकती है। यदि उसे अनुकम्पा नियुक्ति दी जाती है तो वह शेष सदस्यों की देखभाल करेगी। मामले के अनुसार याची के पिता पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में मैकेनिक थे और उनकी अंतिम पोस्टिंग कार्यपालक अभियंता, विद्युत वितरण चरण-2, मालवीय रोड, बस्ती के अधीन थी। याची ने लागू शरीयत कानून के अनुसार तलाकनामा के माध्यम से 01 जनवरी 2008 को तलाक ले लिया था। कहा गया था कि तलाक के बाद वह अपने पिता के घर ग्राम तिलौली, पोस्ट सोहनाग, जिला देवरिया चली गई थी और जनवरी, 2008 से वहीं रह रही थी।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह अपने पिता की एकमात्र कानूनी उत्तराधिकारी थी और तदनुसार, उसने दावा किया उनकी मृत्यु के बाद अनुकम्पा नियुक्ति दी जाय। उन्होंने अपने पिता के सेवानिवृत्ति बकाये के लिए भी अभ्यावेदन प्रस्तुत किया। उत्तरदाताओं ने उसे अपने दावे का पता लगाने के लिए प्रासंगिक दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ने भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 के तहत उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए जिला न्यायाधीश, देवरिया का रुख किया और उसे वह प्रदान किया गया। कोर्ट ने उक्त निर्देश के साथ याचिका खारिज कर दी।
सन्दर्भ स्रोत : उदयपुर किरण
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