सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक ऑनलाइन शिकायत प्रणाली बनाने पर विचार करने को कहा है जिससे यौन उत्पीड़न से जुड़ी शिकायतें दर्ज कराना आसान हो सके। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को पुलिस स्टेशन जाने की बाध्यता खत्म होनी चाहिए। इसके लिए एक केंद्रीय एजेंसी बनाई जाए जो शिकायतों को ऑनलाइन प्राप्त कर संबंधित थानों तक भेज सके। केंद्र सरकार को इस मामले पर 6 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
SCWLA की याचिका और मुख्य मांगें
महिला वकीलों के संगठन 'सुप्रीम कोर्ट वुमेन लॉयर्स एसोसिएशन' (SCWLA) ने महिलाओं की सुरक्षा पर गाइडलाइंस बनाने और कानूनों में सुधार की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में 20 प्रमुख मांगें रखी गई हैं जिनमें शामिल हैं:
• सार्वजनिक स्थानों और इमारतों में सीसीटीवी कैमरे लगाना।
• पोर्नोग्राफिक सामग्री पर सख्त रोक लगाना।
• रेप के दोषियों के लिए कठोर सजा, जैसे बधियाकरण (प्रजनन अंग को अयोग्य बनाना)।
• ओला-उबर और अन्य परिवहन सेवाओं से जुड़े लोगों को महिला सुरक्षा का प्रशिक्षण देना।
• OTT प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री को नियंत्रित करना।
16 दिसंबर 2024 को याचिका पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर 2024 को याचिका को विचार के लिए स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने कहा कि याचिका में कुछ मांगें कठोर हैं लेकिन उनमें कई व्यावहारिक बातें भी शामिल हैं जिन पर विचार करना जरूरी है।
बेंगलुरु की घटना पर जजों की चिंता
27 जनवरी को इस याचिका पर फिर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान SCWLA की अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील महालक्ष्मी पवनी ने जजों को बेंगलुरु में हुई एक घटना के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि उबर के जरिए बुक किए गए एक ऑटोरिक्शा में महिला के साथ दुर्व्यवहार हुआ। महिला और उसके पति को शिकायत दर्ज कराने के लिए कई थानों के चक्कर लगाने पड़े। इस पर जजों ने चिंता जताई और कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए।
केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट का सवाल
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि महिलाओं के लिए ऑनलाइन शिकायत की व्यवस्था अब तक क्यों नहीं बनी है?
केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि याचिका में उठाए गए मुद्दे काफी व्यापक हैं। इस पर जजों ने कहा कि तकनीकी बातों के बावजूद याचिका में महत्वपूर्ण और व्यावहारिक सुझाव दिए गए हैं।
महिला सुरक्षा को लेकर SCWLA की मुख्य बातें
छोटे शहरों में अनदेखी अपराधों को रोकना: याचिका में कहा गया कि बड़े शहरों के अपराध चर्चा में आ जाते हैं लेकिन छोटे स्थानों पर होने वाले अपराधों को दबा दिया जाता है।
महिला सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश: कोर्ट से कानूनों में सुधार और सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू करने की मांग की गई।
सुरक्षा गार्ड की वेरिफिकेशन: केवल प्रशिक्षित और वेरिफाइड गार्ड को ही नियुक्त किया जाए।
आगे क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 6 सप्ताह के भीतर अलग-अलग मंत्रालयों से विचार लेकर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाया जाना चाहिए जिससे महिलाएं बिना किसी झिझक के शिकायत दर्ज कर सकें। यह मामला एक बार फिर महिला सुरक्षा की गंभीरता और इसके लिए उठाए जाने वाले ठोस कदमों पर ध्यान आकर्षित करता है।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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