"भाभी, मैं खुद ही निबंध लिख लूँगा, बस सुषमा जीजी को उसका मोर दिला दो!
साहसी औरतों को पस्त करने के जब नहीं मिलतें,कोई बहाने तो उठा ही लिया जाता है ये भावुक हथियार।
पहले पहल वे छीनेंगे तुमसे तुम्हारी हँसी,
केवल हम
दोनों सुखी थे। साथ पढ़ते हुए दोस्ती हो गयी। फिर सगाई। अब दोनों चौबीसों घंटे आपस में बातें करने को छटपटाते।