है ना………..

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है ना………..

चित्र : राजा रवि वर्मा

• चित्रा सिंह, भोपाल 

है ना………..

 

पहले पहल वे छीनेंगे

तुमसे तुम्हारी हँसी,

फिर छीनेंगे बेहद धीमे से

तुम्हारे हिस्से का वो सुख

जिनके बल पर तुमने दोबारा

खड़ा किया था खुद को

ये जान पाने बग़ैर

कि इस सब में,

कितनी बार लड़खड़ाते हुए

गिरी थी तुम, औंधे मुँह

और रिसता रहा था,

हर ज़ख़्म, महीनों- दिनों

आख़िर में तुम पाओगी कि

तुमसे तुम्हारे जीने का

हुनर ही छीन लिया गया है

बड़े अदब और अदायगी से - कहकर

प्यार तो देने का नाम है ?

है ना………..

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